...

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||आज़ादी||
लड़की हो धीरे बोलो।

लड़की हो शान्त रहो।

इतना सज-धज क्यों रही हो?

बाल खुले क्यों हैं?

इतनी देर क्यों हुई…किसके साथ थी?

कहाँ जा रही हो?

मेकअप कर लिए तो, ‘ऐ हिरोइन !’

ज्यादा पढ़-लिख लिए तो,‘ऐ चश्मिश !’

……………………………..

यह सब हर लड़की रोज़ सुनती है…अपने पिता,माँ,भाई और पति से…। क्या हमें हक नहीं है अपनी इच्छानुसार रहने का? क्या हम हमेशा पहले अपने पिता के अनुसार और बाद में अपने पति के अनुसार चलना होगा…? मैंने ये सवाल कई लोगों से पूछा है…पर जवाब में हमेशा खामोशी ही मिली है…।और हाँ, जब कभी भी मैंने सवाल पूँछें हैं उन लोगों ने मुझे अजीब ही समझा है..।

आज भी लड़कों को उनके हक बिना मांगे घी से चुपड़ी रोटी की तरह मिल जाते हैं और वही दूसरी तरफ लड़कियों को उनके हक के लिए लड़ना पड़ता है।

और हमसे तो इस बात पर भी लोग बहस करते हैं की औरतों को बराबरी भी चाहिए और बस में सीट रिजर्वड् भी चाहिए...
अरे बराबरी तो दूर आप हमें हिस्सेदारी ही दे दीजिए वही बहुत है!

मैं यह नहीं कह रही की लड़कों से उनके हक छीन लिए जाए.... मैं चाहती हूं की हमें लड़कों के समान हक मिले।

खैर अब तो देवी कहलाने से भी डर लगने लगा है क्योंकि हाल ही में एक औरत के साथ देवी के मंदिर में ही बलात्कार हुआ था...

कानों में यही शब्द गूँज रहे हैं...
" लड़की हो शान्त रहो "



© @Aayushi_Yadav_Quoter

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