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वोट
#वोट
चाय की टपरी में आज काफी गहमा गहमी है। बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही। जैसे चुनाव के दल वैसे ही चाय की दुकान भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी। मगर कुछ मुद्दों पर सभी लोग एकजुट दिखे जैसे पहलवानों के आरोप का मुद्दा ही ले लो सभी का कहना यह था कि क्या आरोपी को उसके खिलाफ सबूत है जो वह मिटाने के लिए वक्त दिया जा रहा था इसलिए देरी से कार्रवाई की गई। सही वक्त पर अगर जांच शुरू होती और एफ आई आर दर्ज हो जाती चाहे चाहे फिर वह बेगुना ही निकलता, भला इसमें भी कोई बुराई तो नहीं थी।
इस बात में मैं अपनी टपरी की खासियत समझता हूं कि कभी भी ऐसे मुद्दों पर दो मत नहीं होते अब पीछे सी जो किसानों के तीन बिल का मुद्दा भी उठा था और जब किसान धरने पर गए हमारी टपरी से भी कई लोग टर्न वॉइस उस धरने में किसानों का साथ देने गए। 1-2 ना समझ है जो बिन मतलब के बिना सोचे समझे भी अपना ही राग अलाप ता है। हां एक बात और अच्छी लगी कि कोई भी किसी को भी अपना वोट कहां डालना है के लिए फोर्स नहीं करता और ना ही किस पार्टी को किसी पर थोपना चाहता है।