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कर्म


बहुत से लोग भगवान पर विश्वास करते है और विश्वास नहीं भी करते हैं।

जब उनका कोई काम नहीं बनता उनको लगता है कि अगर मेरा काम नहीं बन रहा है तो इसका दोष भगवान को दिया जाए। और भगवान मेरे कामों में अड़चनें डाल रहा है ।

जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है हमारा कोई भी काम बनता है या बिगड़ता है ।

वह सब हमारे करम के ऊपर ही आधारित होता है ।

जैसे हम कर्म करेंगे वैसे ही हमें उसका फल भी मिलेगा ।

जैसे बीज बोओगे वैसे ही उस पर फल आएंगे लेकिन व्यक्ति यह नहीं समझता है कि भगवान ने हमें इंसान के रूप में इस धरती पर भेजा है ।

कर्म करने के लिए हम अच्छे कर्म करें कर्म अपने करते रहे कर्म हम लगातार करते रहेंगे तो उसका फल भी बहुत अच्छा प्राप्त होता है ।

बहुत से व्यक्ति उपाय करते हैं और पूजा अनुष्ठान करते हैं।

फिर कहते हैं हम तो भगवान के प्रति बहुत कुछ कर रहे हैं हम तो भगवान की पूजा बहुत करते हैं। लेकिन हमें तो कोई भी फल नहीं मिल रहा हम तो बहुत दान धर्म करते हैं।
लेकिन हमें तो उसका कोई फल ही नहीं मिलता ।

अब इसका फल क्यों नहीं मिलता। इसका कारण।

जिस दिन आप लोगों ने भगवान को यह कहना शुरू कर दिया कि मैं भगवान की पूजा बहुत करता हूं और मुझे कुछ नहीं मिलता उसी दिन से आपका जितना भी किया कराया है सब खत्म हो जाता है ।

या आपने किसी को कुछ भी दान करा और उस दान का प्रचार कर दिया कि मैंने किसी को कोई चीज दान की

यदि दान करते हुए फोटो खिंचवा ली दान करते हुए तो आप यह सोचे यह आपके कर्म में जोड़ा जा रहा है क्योंकि आपने दान तो किया है ।


लेकिन आपने जिस को दान किया है उसको आपने नीचा दिखा दिया और आप उसके आगे बड़े बन गए । ओर आपने फोटो सभी जगह पोस्ट कर दी शेयर कर दी आप यह नहीं जानते कि जिस व्यक्ति को आप दे रहे हैं वह व्यक्ति भी इसी समाज में रहता है और हर किसी का समाज का अपना दायरा होता है।

जो भी आप दान धर्म करते हैं पूजा पाठ करते हैं उसको हमेशा गुप्त रखें ।

जब आप किसी भी चीज को गुप्त रखेंगे तो आपको गुप्त तरीके से ही आपके पास में धन भी आएगा ।

और जब कभी किसी के पास धन आता भी है तो अपने धन को किसी के आगे उजागर मत कीजिए ।

जो भी आप कार्य करते हैं उसको गुप्त रूप में आप करना शुरू कर दीजिए ।

आप देखना आपको भाग्य का साथ भी मिलेगा आपका कर्म का साथ भी मिलेगा ।

और जो भी आप पूजा पाठ करते हैं उसका असर आपको जरूर मिलेगा ।

यह साथ-साथ जुड़ता रहता है लेकिन हमें दिखाई नहीं देता और कष्ट आने पर हम भगवान को दोष देना शुरू कर देते हैं ।

उस परमपिता परमात्मा से हम नाराज हो जाते हैं कहते हैं भगवान कुछ नहीं है ।

आप यह नहीं समझते भगवान तो हमारे अंतरात्मा में है इसका मतलब आप यह सोचते हैं कि मैं कुछ नहीं हूं

आप खुद के लिए नकारात्मक बातें बोल रहे हैं और जितना आपका काम बनेगा भी वह काम भी आपका रुक जाएगा

कोई भी काम आपका नहीं बनेगा तो कभी भी हो भगवान को दोष देना बंद कीजिए।

सिर्फ अपने कर्म देखिए कि मैं किस तरह का करम कर रहा हूं

भगवान ने तो हमें एक चाबी भर के इस धरती पर भेजा है

अब आप उस चाबी को कितना अपने अंदर भर सकते हैं कितना खुद को उर्जा दे सकते हैं ।

यह सब आपके ऊपर डिपेंड करता है जितनी आप चाबी भरेंगे उतनी ही आपको ऊर्जा मिलेगी ।

आप अपने इष्ट अपने भगवान के ऊपर समर्पित हो जाइए फिर आप देखना जीवन कितना खुशहाल होता है कष्ट तो आएंगे जीवन में लेकिन आपको पता भी नहीं चलेगा कब आपका जीवन कट गया ।

कर्म से हमें माता पिता मिलते हैं कर्म से हमें अच्छी औलाद मिलती है।।
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