...

8 views

मजबूरी Part 6
सुबह का समय था गजरा दुकान पर चाय बना रही थी,
उसी समय दुकान पर रोहन आया,
रोहन अपने कुछ दोस्तों को भी साथ लाया,
रोहन ने कहा गजरा चाय लेकर आ,
गजरा चाय लेकर आई,
तभी रोहन और रोहन के दोस्त सीटी बजाने लगे,
गजरा इन लोगों को मना करने लगी सीटी मत बजाओ,
तो ये लोग सड़क पर आ गए और सीटी बजाने लगे,
रोहन ने कुछ देर में सड़क पर भीड़ इकट्ठा कर लिया,
और लोगों से कहने लगा कि गजरा मैडम ने हमें आदेश दिया है, कि हम सीटी बजाएं तब वह हमें चाय देंगी,
लोग कहने लगे कि गजरा हम नहीं जानते थे कि तू ऐसी है,
गजरा कहने लगी यह सब झूठ है,
लेकिन कोई गजरा की बात नहीं सुन रहा था,
तभी वहां पर काकी आ गई,
काकी कहने लगी कितनी चरित्रहीन लड़की है,
लड़कों को बर्बाद करती है,
तब गजरा बोली ऐसा कुछ भी नहीं है रोहन झूठ बोल रहा है,
तब रोहन बोला मैं झूठ नहीं बोल रहा हूं,
रोहन लोगों से कहने लगा कि गजरा बोल रही थी,
दिन में तो सभी चाय पीते हैं कभी रात में चाय पीने आया करो रोहन,
कभी मुझे भी सेवा का मौका दो रोहन,
गजरा रोने लगी बोली सब कुछ झूठ है,
लेकिन कोई गजरा की बात पर यकीन नहीं कर रहा था,
तभी काकी बोली कि आप लोग देख क्या रहे हैं इसकी दुकान को तोड़ दो,
नहीं तो यह गांव के लड़कों को बर्बाद कर देगी,
देखते ही देखते लोगों ने दुकान तोड़ दिया।
कुछ समय में भीड़ समाप्त हो गई,
तभी गगन भी आ गया,
गगन बोला यह सब क्या हो रहा है दीदी दुकान कैसे टूट गई,
गजरा बोली सब कुछ रोहन ने किया है,
तब गगन बोला मैं रोहन को छोडूंगा नहीं,
गजरा बोली नहीं तुम्हें कुछ भी नहीं करना है,
मैं हूं ना तुम चिंता मत करो भाई।
गजरा के समझ में कुछ नहीं आ रहा था,
फिर गजरा सोचने लगी,
गाॅंव के मुखिया जी के पास जाती हूं मदद करेंगे,
मुखिया जी के पास गई,
लेकिन मुखिया जी ने मदद करने से मना कर दिया,
अब गजरा को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था,
गजरा सोच रही थी कि अब क्या करूं,
तभी गजरा के दिमाग में आया,
लाला जी के पास जाती हूं मदद करेंगे,
फिर गजरा लाला जी के पास गयी,
लाला जी से बोली आप मेरा खेत, घर सब कुछ ले लीजिए,
अपने भाई को लेकर इस गाॅंव से दूर जाना चाहती हूं,
काकी ने मेरा जीना हराम कर दिया है,
लाला जी ने कहा ठीक है,
फिर लाला जी ने कुछ लोगों को इकट्ठा किया,
गजरा से हस्ताक्षर करवाए,
और 500000 में घर-घर खेत खरीद लिए,
घर और खेत के हिसाब से रकम कम थी लेकिन फिर भी गजरा को मंजूर था,
गजरा अपने भाई को लेकर गाॅंव से दूर चली गयी,
गजरा के पास जो पैसा था,
उस पैसे से वह किराए का मकान ले ली,
और चाय की दुकान शुरू कर दी,
काकी को पता चला कि गजरा सब कुछ बेच कर चली गई,
काकी लाला जी के पास गयी,
और बोली कि खेत मेरा है,
लाला ने गजरा का हस्ताक्षर दिखाया,
और काकी से बोला कि अब खेत कब्जा करने की कोशिश मत करना,
नहीं तो जेल की चक्की
पीसना पड़ेगा तुम्हें,
काकी अब मजबूर थी,
कुछ कर भी नहीं सकती थी,
काकी सोचने लगी मैं तो गजरा को फंसा रही थी और मेरे हाथ से सब कुछ निकल गया,
लाला जी बोले कि मुझे सब कुछ पता है कि तुम और तुम्हारे रोहन ने मिलकर गजरा को नीचा दिखाया है, गजरा की कोई गलती नहीं थी,
काकी अब तुम अपना सिर पटको गजरा तो गई
यहां से हमेशा के लिए,
और खेत भी तुम्हारे हाथ से गया।