...

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Divine love....
अगर कुछ सीखना चाहो तो,
प्रेम से बहुत कुछ सीखा जा सकता है,
राधा कृष्ण जैसा प्रेम ,
सिया राम जैसा प्रेम ,
मीरा का निस्वार्थ प्रेम ,
या फिर प्रभु राम से किया गया हनुमान जी का प्रेम,
हर जगह प्रेम की अलग अलग छवि है,
हर रूप में प्रेम अमर हुआ है,
न छल हुआ,ना जोर जबरदस्ती,
हर सुख में हर दुख में,
हृदय के उच्च स्थान पर प्रेम,
स्थिर रहा विराजमान रहा,
परिस्थिति जैसी भी रही,
प्रेम का सम्मोहक स्वरूप,
प्रेम की दृढ़ पराकाष्ठा वही रही,
जीवनभर प्रेम में रहे,
एक श्वास तक न ली जो प्रेम से रहित हो,
बिना मिलन,बिना लंबी लंबी बातों के,
सदैव एक दूसरे के हृदय में स्थापित रहे,
शब्दों की जहां तनिक भी आवश्यकता न थी,
जहां सिर्फ आस्था थी ,गहरे एहसास थे,
प्रेम को पूज्य समझा गया था,
जीवन के अंत तक प्रेम अंतर्मन में समाहित रहा,
न प्रेम को अपमानित होने दिया,
न उस प्रेम का कभी दिखावा किया,
बस स्वयं को समर्पित कर दिया उस प्रेम के लिए,
उस प्रेम को सदा के लिए पूज्य बना दिया..!

© A Yadav