सोच की कोई सीमा नहीं
एक दिन एक राजा ने अपने तीन मन्त्रियों को दरबार में बुलाया और आदेश दिया के एक-एक थैला लेकर बगीचे में जाएं और वहां से अच्छे-अच्छे फल जमा करें। तीनों अलग-अलग बाग़ में गए। पहले मन्त्री ने कोशिश की, कि राजा के लिए उसकी पसंद के अच्छे-अच्छे और मज़ेदार फल जमा किए जाएं। उसने काफी मेहनत के बाद बढ़िया और ताज़ा फलों से थैला भर लिया।
दूसरा मन्त्री राजा का भरोसेमंद था। उसे पता था कि राजा उसके काम को जांचता नहीं है।राजा हर फल का परीक्षण तो करेगा नहीं। इसलिए उसने जल्दी-जल्दी थैला भरने में कच्चे , गले-सड़े फल नीचे और ऊपर में कुछ ताजा स्वस्थ फल भर लिए।
तीसरा मंत्री दरबार में अपनी पकड़ रखता था। उसने सोचा...
दूसरा मन्त्री राजा का भरोसेमंद था। उसे पता था कि राजा उसके काम को जांचता नहीं है।राजा हर फल का परीक्षण तो करेगा नहीं। इसलिए उसने जल्दी-जल्दी थैला भरने में कच्चे , गले-सड़े फल नीचे और ऊपर में कुछ ताजा स्वस्थ फल भर लिए।
तीसरा मंत्री दरबार में अपनी पकड़ रखता था। उसने सोचा...