...

4 views

बंटी और बबली
मैं जब भी कहता हूं, बबली रोज सुबह तुझे चाय बना कर लाओ बबली कड़क मीठी अदरक इलायची डालकर।

रोज सुबह चाय मांगते रहते हो तुम बंटी सारा दिन काम बस काम करती रहती हूं, कभी चाय हाथ से नहीं बना सकते क्या तुम गुस्से में चिल्ला कर बोली ....?

ओह......"वाह" क्या बात है, बबली आज बहुत ज्यादा बोल रही हो, इतना गुस्सा बस अब शांत हो जाओ मुझे गुस्सा आ रहा है।

बस-बस बहुत सुना बंटी मैंने तुम्हारा अब बस करो हर रोज घर का काम कपड़े खाना बर्तन बच्चों की देखभाल पढ़ाई लिखाई यह सब मुझे ही करना पड़ता है। और तुम ऑफिस रोज सुबह से जाते हों उसका क्या...?

हाँ..... हाँ..... गुस्से में बोला बबली सुनो ऑफिस में मुझे भी बहुत काम होते है, अगर तुम मेरी जगह होती तो समझती ऑफिस समय पर पहुंचना समय पर ना पहुंच पाया तो बॉस की बात सुनने को मिलती है।

ऑफिस पहुंच कर सबकी हाज़री लगती है, बबली अरे तो फिर मेरा क्या मुझे कुछ काम नहीं मैं क्या दिन भर फालतू रहती हूं।

बच्चों की पढ़ाई लिखाई बच्चों को तैयार करके खाना बनाना तुम्हें सुबह से उठाना तुम्हारा ऑफिस का खाना बनाना यह सब कौन करता है।

तुम्हारे ऑफिस के बाद स्कूल बच्चों को पहुंचाना यह यह सब किसका काम है, बताओ...?

बंटी हाँ ......"हाँ" ....... तुम नहीं करोगी यह काम तो फिर कौन करेगा यह तुम्हारा ही तो काम है।

सुनो ज्यादा गुस्सा नहीं करो जाओ जल्दी से एक कप चाय बनाकर लाओ ऑफिस जाने में लेट हो रहा।

गुस्से में बोली हाँ....हाँ.....जाती हूँ अभी बनाकर लाती हूं, तुम तो कुछ करते नहीं सारा दिन मुझे खुद झेलना पड़ता है।

लाओ जल्दी बनाकर जाओ गुस्सा ना दिलाओ, हां... हां.....

तुम्हें गुस्सा और मैं दिन भर काम करती हूं, उसका क्या अब

बस करो जाती हूं, चाय बनाकर लाती हूँ।

-हार्दिक महाजन