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सड़क... और बंगला
सडक.. और बंगला

सडक एक मूवी का नाम है, उस मूवी के निर्देशक कलाकारो पर वंशवाद ,भाई भतिजावाद का आरोप है......नेपोटिजम कहां नहीं है??? पूरी दुनियां मैं पहले राजा महाराजाओ के पुत्रो ,रिश्तेदारो को राज्य मे नेतृत्व करने का पहला हक मिलता था.. राजा भरत ने योग्य को नेतृत्व देने की परम्परा शुरू की तो शांतनु के आते आते नेपोटिजम और धृतराष्ट्र तक तो हद पार व्यवस्था हो गयी.. हालांकी राजा भरत के नाम पर जाने जाने वाले देश को अधिकांश लोग इण्डिया कहने में फक्र करते हैं.. जिन्हे भारत से शर्म है उनके लिये काहे का भरत और काहै की उसकी योग्यता वाली व्यवस्था..यहां तो अब कोई जिस फिल्ड का महारथी बन जाये तो बैटे को भी उसी फील्ड के लिये तैयार किया जाता है,राजनिती में तो पोतै पडपोतै से सड और बिगडपोतो के भी उदाहरण मिल जायेंगे.... आखिर वंशवाद भी कोई चीज है जो मेरे दादा का वो मेरे बाप का और अब मेरा फिर मेरे बच्चो का चाहे पगलेत ही क्यो ना हो... वै भी क्यूं ना करे व्यापारी का व्यापार और गडरिये की भैंडे सब उसका बैटा ही तो सम्हालता है ,सही भी है जो अपने का ना हो सका वह दूसरे का क्या होगा... पहलै भाई भतीजा बैटा और फिर कोई और...और वह कोई और क्यू???? वह आयेगा तो मेरे अपने... नहीं लोकतंत्र इतना ही भला है की लोग वोट दे ...सडक सडक रहे
और बंगला बंगला ...भला सडके भी कभी बंगला बन सकती है।