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शर्त
चंदन जिसकी उमर कोई 8,10 साल होगी ,उसे शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदतों में शुमार हो गया था ।

इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा । आनंद गांव के मुखिया का लड़का था ।

बड़ी हवेली का नाम सुन के आनंद और सब लड़के कांप उठे। बड़ी हवेली के बारे में गांव में तरह तरह की बातें होती थी जो उन्होंने सुनी थी । गांव के मुखिया ने हवेली के द्वार को तांत्रिक के माध्यम से वशीकरण मंत्रों द्वारा बंद करवा रखा था ।

गांव के लोग कहते थे कि हवेली में एक डायन रहती है , और जो कोई भी उसमें जाने की हिम्मत करता है वो वापस नहीं आता ।

उस महिला का नाम पार्वती था जो चंदन की मां की सहेली थी ,जब चंदन का जन्म भी नहीं हुआ था तब ही
पार्वती के पति की मौत खदान में काम करते समय मिट्टी के ढह जाने से हो गई थी , उसके कोई संतान भी नहीं थी । गांव के मुखिया की गंदी नजर उस पर थी । वह गांव में आते जाते समय उसके साथ छेड़खानी करता रहता था ।

एक दिन पार्वती किसी काम से गांव से बाहर गई थी, आते आते उसे रात हो गई थी।
रात के अंधेरे का फायदा उठाकर मुखिया ने उसके साथ
जबरदस्ती करने की सोची । पर वह उस वक्त किसी तरह बच बचाकर वहां से भाग आई ।

चंदन की मां का नाम शारदा था , वह उस समय
गर्भवती थी । जब पार्वती ने शारदा को ये सब बताया तो शारदा ने कहा कि अब से वह उनके साथ ही रहेगी इससे उसे भी मदद मिल जायेगी ।

मुखिया इस बात को लेकर बहुत नाराज हुआ और उसने पार्वती से किसी भी तरह इसका बदला लेने की ठान ली ।

कुछ दिन बाद जब चंदन का जन्म हुआ तो प्रसव के कारण शारदा की हालत बिगड़ गई । वह चार पांच दिनों तक बहुत तड़पती रही और फिर चल बसी । चंदन के जन्म से लेकर शारदा की मौत तक उसने अपने बच्चे की तरह उसकी देखभाल की ।

मुखिया जो पार्वती से बदला लेना चाहता था , उसे एक अच्छा अवसर मिल गया । उसने पंचायत बुला कर गांव वालों के बीच उसे डायन घोषित कर दिया और शारदा की मौत उसके सर मढ दी । चूंकि वो विधवा थी और निःसंतान भी इसलिए गांव वालों ने पंचायत की बात पर यकीन कर लिया। गांव की औरतें आपस में बातें करती कि बच्चे का जन्म होते ही उसकी मां को खा गई ।

चंदन के पिता एक गरीब किसान थे ,वो इस बात से वाक़िफ थे पर पंचायत के फैसले का विरोध न कर सके ।

मुखिया ने एक तांत्रिक को बुलाया और मंत्रों द्वारा वशीभूत करके पार्वती को गांव से बाहर स्थित हवेली में कैद करवा दिया । मुखिया के डर से कोई भी उस हवेली की तरफ़ नहीं जाता था ।

चंदन के पिता पिछले आठ सालों से चोरी छिपे पार्वती को खाना देकर आते थे और मिलने जाते रहते थे ।
एक लंबा अंतराल हो जाने के कारण उनमें काफ़ी लगाव हो गया था । वो इस चीज से बहुत आहत थे पर कुछ कर नहीं सकते थे , मुखिया का खौफ सारे गांव में दहशत फैला देता था ।

जब चंदन ने हवेली में जाकर आम तोड़ने की शर्त लगाई तो आनंद और उसके दोस्तों ने उसे बहुत समझाया और जाने को मना किया । पर चंदन बहुत ही जिद्दी था वह अपनी बात पर अड़ा रहा ।

जब उसने हवेली में जाने का ठान लिया तो सबने मिलकर तय किया कि सब लोग चंदन का हवेली के बाहर इंतजार करेंगे और अगर वो नहीं आता है तो गांव में जाकर बता देंगे ।

आनंद और उसके दोस्तों ने चंदन को अपने कंधों पर चढ़ाकर दीवार के सहारे हवेली के अंदर भेज दिया ।

जैसे ही वह हवेली के अंदर दाखिल हुआ
एक बार तो उसकी रूह कांप उठी ,पर वह निडर और साहसी बालक था ।

वह आम तोड़ने के लिए बगीचे की तरफ चल दिया । उसने वहां पेड़ पर लगे आम देखे तो उसका जी ललचाने लगा और वह वहीं पर बैठकर आम खाने लग गया । आम खाने के चक्कर में उसे ये भी याद नहीं रहा कि उसने आनंद से शर्त लगा रखी है ।

धीरे धीरे शाम ढलने लगी तो उसे शर्त और आम तोड़ कर ले जाने की बात याद आई ।
वह जल्दी जल्दी आम तोड़ने लगा और जितने तोड़ पाया उन्हें लेकर बाहर की और जाने लगा।

सहसा उसे किसी के कदमों की आहट सुनाई दी , वह डर के मारे कांपने लगा ।

अचानक उसे एक महिला अपनी तरफ़ आती हुई नज़र आई जिसके बाल खुले हुए थे जो उसके चेहरे पर आ रहे थे, चंदन उसे देख कर कांपने लगा और डर के मारे बेहोश हो गया ।

तब तक काफ़ी रात हो चुकी थी और आनंद और सब लड़के अपने घर जा चुके थे । उन्होंने गांव में जाकर सबको ये ख़बर दी की चंदन हवेली के अंदर आम तोड़ने गया था पर वापस नहीं लौटा ।

गांव के लोगों ने जब ये सुना तो सब हवेली के बाहर इकट्ठा हो गए लेकिन अंदर जाने की हिम्मत किसी के अंदर नहीं थी । सब लोग ईश्वर से दुआ कर रहे थे कि चंदन सही सलामत वापस आ जाए ।

जब आधी रात बीत गई और चंदन नहीं आया तो सब लोग वापस लौट गए । गांव के लोग चंदन के पिता को ढांढस बंधा रहे थे कि सुबह होते ही चंदन वापस आ जायेगा ।

चंदन जो अब तक बेहोश था , अचानक उसकी आंख खुली तो उसने देखा कि वह एक महिला की गोद में लेटा हुआ है और वो रोए जा रही थी ।

चंदन पहले तो डर रहा था लेकिन उसे देख
कर वह उससे पूछने लगा की आप कौन हो ?
और यहां क्या कर रहे हो ? आप गांव में क्यूं नहीं रहते ? आपका घर कहां है ?

बच्चे द्वारा इतने सारे सवाल एक साथ करने पर पार्वती की ममता जाग उठी । उसने उसे गोद में बिठाकर प्यार से उससे कहा कि डरो नहीं बेटा ,मैं तुम्हारी मां जैसी ही हूं ,गांव में मेरा कोई नहीं है इसलिए मैं यहां रहती हूं ,यही मेरा घर है ।

चंदन को ये सुनकर अपनी मां की याद आने लगी और वो रोने लग गया , पार्वती ने जब पूछा तो चंदन ने अपनी मां के बारे में बताया । शारदा का नाम सुनते ही पार्वती की आंखें भर आई । उसने चंदन को अपनी गोद में बिठाकर प्यार से उसे चुप कराया और लोरी सुनाने लगी , लोरी सुनते सुनते चंदन को नींद आ गई ।

सुबह होने पर चंदन आम लेकर हवेली से बाहर आ गया पर उसे अभी भी ये सवाल सताए जा रहा था आखिर वह औरत वहां अकेली क्यूं रहती है ।
जब उसने गांव के लोगों से ये पूछा तो उन्होंने उसे डरा धमका कर चुप करा दिया ।

उसने अपने पिताजी से ये बात पूछी तो उन्होंने बात को टाल दिया । पर बच्चे के बार बार पूछने पर उन्होंने बता दिया की वहा उसकी मां की सहेली है और उसकी मां जैसी ही है ।

चंदन अभी बच्चा ही तो था ,उसे मां की जरूरत थी । वह अपने पिताजी से ज़िद करने लगा की उनको वहां से बाहर निकाल के लाओ । चंदन के पिता ने इसके लिए मना किया क्योंकी उनको डर था की कहीं मुखिया जी को पता न चल जाए । पर बच्चे की जिद के आगे उनको हार माननी पड़ी ।

उन्होंने तय किया कि वो पार्वती को वहां से निकाल कर ये गांव छोड़ देंगे और कहीं दूर चले जाएंगे ।
अगली रात को चंदन और उसके पिता दोनों हवेली की तरफ़ चल दिए । हवेली पहुंच कर उन्होंने पार्वती को अपने साथ लिया और हवेली के पीछे की तरफ़ से गांव से बाहर निकल गए । चंदन और उसके पिता अब बहुत खुश थे क्योंकि उसके पिता ने आज मुखिया को हरा दिया था और उसने शर्त में मुखिया के लड़के आनंद को । और जीत के इनाम के तौर पर चंदन को नई मां मिल गई थी ।


© मनराज मीना