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कौए की कहानी part 1st
तो एक कौआ था। कौआ को तकलीफ क्या थीं। आप जानते है। कौआ काला था। जी हाँ। वो काला था। वो एक पेड़ पर बैठा था एक साधु वहा से जा रहा था तो उसके गाल पर एक मोती टपका तो साधु ने कौए को देखा। देखा कि कौआ रो रहा था। उन्होंने कौए से बोला की तू क्यों रोता है। कौए ने बोला 😭 नही तो क्या करू मेरी जिंदगी खराब है मेरा रंग कैसा काला। और मुझे कोई नहीं पालता। किसी की भी छत पर बैठ जाऊँ तो सब हट हट बोलकर भगा देते हैं। और मुझे काम से ही बुलाते हैं (सराद) बाले दिन। साधु बोले चल तुझे एक मोका देता हूँ। बता क्या बनेगा। कौआ खुश हो गया और बोला मुझे हंस बना दो। साधु बोले चल ठिक है पर मेरी एक shart है। कौआ बोला क्या है। साधु ने कहा हंस के पास जाओ और उससे उसके बारे मे पुछो। कौआ जाता है। हंस दिखता है। हंस से बोलता है। यार हंस भाई तेरी जिंदगी कितनी सही है तेरा रंग सफेद ओ..... और जब तो पानी में चलता है तो कितना सुंदर दिखता है..... यार पता नहीं लगता कि तो चल रहा है या तैहर रहा है....।हंस ने क्या बोला

आगे की कहानी के लिए पाठ 2 देखें।