...

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आसान कहाँ सफर-ए-जिंदगी
जब होता हूं " रूबरू " अंधेरे से
तब जागता हु रातभर " जुगनू " की तरह.. 🤵
" कागज - कलम " तो है लेकिन
" जज़्बा ते महोब्बत " बया करू किस तरह.. 🙂

इस " लहड़ " से मन में " आशाएं " बहोत हैं,
लेकिन इसे समझाऊ किह तरह..
किस तरह शुरू हुई थी " दास्ताने महोब्बत " ❤️

सब पूछते हैं इसका अंत हुआ किस तरह.. 😥
खुश रहता हूं क्योंकि उदास रहे न पाया..
फिर मैं कभी इस रात की " चिलमन " में खो न पाया.. 😭

कितना " चहकता " रहता था 🤵 मैं " दिन रात "
अब इस " एकांत " से अकेले झूझ न पाया..

💆 वो ना मिलेगी दोबारा ऐसा नही हैं,
क्योंकि अब " इश्क़ " न होगा दोबारा..

" मैं अड़ियल हु.. हु मैं ज़िद्दी " लेकिन मैं
कभी " शिकायतें " नही करता..

" ज़िन्दगी " मस्त चल रही हैं.. " स्टेशन " बदल रहे हैं..

😘 🤵 मस्ती में जी रहे हैं.. खुद ही में खो रहे हैं.. वजह केवल एक ही हैं ..!!

" जीना इसी का नाम हैं " ♥️
अन्नू तिवारी 🤵
© उन्मुक्क्त अनूप