आसान कहाँ सफर-ए-जिंदगी
जब होता हूं " रूबरू " अंधेरे से
तब जागता हु रातभर " जुगनू " की तरह.. 🤵
" कागज - कलम " तो है लेकिन
" जज़्बा ते महोब्बत " बया करू किस तरह.. 🙂
इस " लहड़ " से मन में " आशाएं " बहोत हैं,
लेकिन इसे समझाऊ किह...
तब जागता हु रातभर " जुगनू " की तरह.. 🤵
" कागज - कलम " तो है लेकिन
" जज़्बा ते महोब्बत " बया करू किस तरह.. 🙂
इस " लहड़ " से मन में " आशाएं " बहोत हैं,
लेकिन इसे समझाऊ किह...