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जय माँ भद्रकाली
जय माँ भद्रकाली🙏🙏

बात लगभग 3000 ईसा वर्ष पूर्व महाभारत के समय की है...द्रोपदी चीरहरण के पश्चात पांडव 12 वर्ष वनवास और 1 वर्ष अज्ञातवास के लिये निकल चुके थे... चुंकि ये तय हो चुका था वनवास समयावधी समाप्त होने के पश्चात युद्ध का होना तय हैं.. अतः दोनों दल (कौरव और पांडव) अपना-अपना पक्ष मजबूत करने में जुट जाते हैं...शक्ति अर्जित की शुरुआत होती हैं शक्तिरूपा माँ काली से.. अर्जुन केदारेश्वर मंदिर(उत्तरप्रदेश, बुंदेलखंड क्षेत्र) की पहाड़ी पर घनघोर तपस्या करते हैं... जिससे प्रसन्न हो माँ काली प्रगट हो बीस भुजा स्वरुप में दर्शन देती हैं युद्ध अवस्था में होने के लिये 'भद्र' मुख धारण किये माँ भद्रकाली से अर्जुन युद्ध में भाग लेने की...