...

1 views

सैनिक और चाय
कड़ाके की सर्दी..!!  पारा शून्य डिगरी..!!

कश्मीर में गश्त के दौरान सैनिकों की टुकड़ी पहाड़ी रास्ते से गुजर रही थी, उनका कमाण्डर भी साथ था।

रास्ता बेहद कठिन और अंधेंरा हो चुका था..!!
अब तो सैनिकों का साहस भी जवाब दे रहा था।

कुछ दूर चलते ही एक चाय की दुकान दिखी, पर वो बंद थी। सब ने थकी आँखों से कमाण्डर की तरफ देखा।
कमाण्डर को समझ आ गया कि सब चाय पीना चाहते हैं।
तभी कमाण्डर ने आदेश दिया कि हम कुछ समय केे लिये यहीं आराम करेंगे।

और सब वहीं पर बैठ गये। फिर एक ने कहा- यार अगर चाय मिल जाती इस ठंड में, तो मजा आ जाता। कमाण्डर समझ गये कि सैनिकों की चाय पीने की इच्छा है।

तभी कमाण्डर ने कहा:- पर ताला तो बंद है, चाय कैसे पियेंगे?
एक सैनिक ने कहा:-  साब जी ताला तोड़ देते हैं,
वैसे भी हम इन्हीं लोगों की रक्षा ही तो करते हैं।

एक कप चाय तो बनती है, इतना तो हमारा अधिकार बनता है,
वैसे भी हमें कौन सी दुकान लूटनी है। इतना कह के ताला तोड़ दिया  गया। सब ने चाय पी, बिस्किट खाए और चल पड़े अपने रास्ते, पर कमाण्डर ने जाते-जाते 500 के दो नोट टेबल पर रख दिये।

सुबह जब दुकानदार ने देखा कि ताला टूटा हुआ है तो बोला:- हे भगवान..!! एक तो वैसे भी मेरे पास बच्चे के इलाज के लिए पैसे नहीं हैं, ऊपर से दुकान भी लुटवा दी।

वह घबराया हुआ अंदर गया और देखा कि सामान तो सब ठीक था, बस बिस्किट कम थे। हाथ सर पे रख के टेबल पे बैठा ही था कि 500 के दो नोट दिखाई पड़े।
वह खुशी से झूम उठा।

जब सैनिकों का जत्था वापिस आया तो उसी दुकान पर चाय पीने के लिये रूके। दुकानदार ने गाना गाते हुए सब को चाय दी।

एक सैनिक ने सोचा रात को इसकी दुकान पर खूब दावत उङाई थी और ये ऐसे झूम रहा है, जैसे कुछ हुआ ही नहीं।

यह सोच उसने दुकानदार से पुछ ही लिया, चाचा बहुत खुश लग रहे हो,  क्या बात है??? हमें भी तो बताओ।

इस पर दुकानदार हँसते हुए बोला:- क्या बताऊं साहब..!! कल रात मेरी दुकान पर भगवान आए थे, यह सुनते ही सब की निगाहें दुकानदार पर जा टिकीं।

भगवान??  सैनिक ने बड़ी हैरानी से पुछा।

हां भगवान..!!

बात दरअसल यूं है कि मेरा बेटा बीमार है। मेरे पास इलाज के पैसे नहीं थे। बहुत कोशिश करने के बावजूद भी कहीं से पैसों का इन्तजाम न हुआ तो सोचा कि क्यों ना दुकान का सामान बेच कर बेटे का इलाज करवा लूँ। वैसे भी औलाद के बिना जी कर क्या करता, मेरा इस दुनिया में है कौन उसके सिवाय ?

आज जब मैं दुकान पर आया तो ताला टूटा हुआ मिला, पहले तो लगा कि दुकान लुट गई है, मेरे बेटे का क्या होगा।

फिर?

जब अंदर आया तो देखा भगवान ने बैठ कर चाय पी, बिस्किट खाए और 500 ₹ के दो नोट रख कर चले गये।

शायद..!!
उनको पता था कि मुझे एक हजार रु की ही जरूरत है अपने बेटे के इलाज के लिये।

दुकानदार की यह बात सुन कर सब सैनिक कमाण्डर की तरफ देखने लगे।

कमाण्डर ने आँखों से ही सब को समझा दिया की किसी का अटूट विश्वास भगवान पर बना रहने में ही भलाई है।

अत: सबने अपनी-अपनी चाय खत्म की और अपने रास्ते चलते बने।

बस इतनी सी थी ये कहानी!!!

दोस्तो..!!
कई बार हमारे द्वारा की गई छोटी सी मदद भी किसी की जिन्दगी में बदलाव ला सकती है।

चाहे हम इसे ना महसूस कर पायें, पर जिसकी मदद की जाती है वो हमेशा आभारी होता है।

और वैसे भी भगवान खुद नहीं आते किसी की मदद करने, वो अपने प्यारे लोगों को यह जिम्मा दे देते हैं।

इसलिये दोस्तो..!!
जहां मौका मिले मदद के लिये हाथ आगे बढ़ा दिया करो।

क्योंकि...
क्या पता किस काम के लिये भगवान आप को चुन लें ???



समापन ।


© Jîज्ञासा