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पवित्र रिश्ता
दुनियाँ की सबसे पहली शादी
जिसमे आपको -
Love Marriage + Arrange Marriage + Intercaste Marriage का संगम दिखायी देगा।

क्या आप जानना चाहते उस जोड़ी का नाम जिन्होंने आजसे लगभग 2500 वर्ष पूर्व ऐसी ही शादी की थी बड़ी धूम धाम से?

तो सुनिये...

उनका नाम है - राजकुमार सिद्धार्थ गौतम और राजकुमारी यशोधरा

अब आप कहेंगे वो कैसे?

तो इसका जवाब भी है मेरे पास है.. ध्यान से पढिये।

1) Love Marriage याने के प्रेमविवाह
इसलिये कह रही हूँ की वो दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे।

2) Arrange Marriage याने की सुसंगत विवाह
इसलिये कह रही हूँ की उन दोनों के परिवार वालों ने इस शादी को मंजूरी दी थी।

3) Intercaste Marriage याने की आंतरजातिय विवाह
इसलिये कह रही हूँ की वे दोनों अलग कुल (जाती) से संबध रखते थे। राजकुमार सिद्धार्थ गौतम क्षत्रिय कुल के थे और राजकुमारी यशोधरा कोलिय कुल की थी जिसे आज के जमाने में " मराठी भाषा में कोलिय को कोळी " कहते है।

इससे यह पता चलता है की, इतने पुरातन काल में ऐसा विवाह हो चुँका है।

इनके विवाह से आश्चर्य चकित करने वाली 2 बाते दिखायी देती है -

1) उनका विवाह याने 3 प्रकार के विवाह का संगम

2) सच्चा प्रेम और त्याग जो यशोधरा का सिद्धार्थ के प्रति दिखायी देना।

ये दोनों भी घटनाये बहुत ही दुर्लभ है।
जो आजकल के आधुनिक काल में ऐसा प्यार और त्याग दिखायी नही देता है।
उन दोनों का प्रेम बहुत ही पवित्रता से भरा हुआ था ऐसा प्रतीत होता है।

इससे ये पता चलता है की -

सिद्धार्थ गौतम ने कभी भी यशोधरा के अलावा किसी को नहीं चाहा और नाही उन्होंने पत्नी का दर्जा किसी और को दिया और नाही उसके अलावा किसी और स्री के साथ संबंध रखे। वे अपने पत्नी के अलावा दूसरी औरतों को माता या भगिनी के दृष्टिकोण से ही देखते थे।

इसी कारण से सिद्धार्थ गौतम भी यशोधरा के इस प्यार के लायक थे।

सच्चे प्यार में नम्रता, विश्वास, अच्छे कार्य के लिये त्याग, एक दूसरे के प्रति मन में सदभावना और मान सन्मान होता है।

क्या आप भी ऐसा ही प्यार पाना चाहते है अपने जीवन में ?

तो सबसे पहले आपको खुद को पहचानना होंगा...साधना (Meditation) के जरिये...

जब तक हमारे मन में ढेर सारे शंकाए है, क्रोध, अहंकार, घृणा है तब तक हम किसी के प्यार के लायक नही है ऐसा ही समझे।
इसीको मन के विकार कहते है जो विपश्यना साधना के जरिये ही धीरे धीरे समाप्त हो जाएँगे। और आपके स्वभाव में भी एक अच्छा बदलाव आने लगेगा।

राजकुमार सिद्धार्थ गौतम को तो आप जानते ही होंगे जिन्होंने सच्चाई की खोज में गृहत्याग कर संन्यास को अपनाया था।
बहुत अथक परिश्रम के बाद में वे "भगवान बुद्ध" के नाम से जाने गये।
(विपश्यना साधना तो उन्ही की देन है इस समस्त मनुष्य जाती के लिये।)
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वरना आजकल देखोगें तो घर में बीवी और बाहर प्रेयसी...
तो ऐसेमें क्या वो पुरुष अपने बीवी के प्रेम के लायक है? क्या वो अपने बीवी के प्रति प्रामाणिक है?

और तो और आजकल देखने के लिये मिलता है की बहुत से लोग कामभोगी के शिकार हो चूँके है और वे इसीको ही अज्ञान के मारे प्यार समझ बैठते है।
जो व्यक्ति कामवासना के पूर्ति के लिये अपनी बीवी को छोड़कर किसी और लड़की से सम्बन्ध रखता हो और दूसरी को भी छोड़कर तीसरी औरत से वासना का भाव रखता हो तो वो प्रेम नही कहलाता है भाई।
तो सच्चा प्रेम तो दूर की ही बात हुयी ना!!!

ऐसे व्यक्ति को कामवासना का रोग लग गया है या वो कामवासना का रोगी बन गया है... ऐसेही समझे।



अगर आपको मेरी बात सही लगे तो comment box में जरूर Positive Reply दे।

पढ़ने के लिये धन्यवाद!
© Nir Anand