जानवरों के प्रति सद्भावना
जीन लोगों को अपने बच्चे प्यारे है उन लोंगों ने Non Veg खाना छोड़ देना चाहिये क्योकि वो भी किसीका बच्चा हो सकता है। हर माँ को अपना बच्चा प्यारा होता है ।
मान लीजिये अगर किसी मनुष्य के बच्चे को जानवर ने खा लिया तो मनुष्य जितना दुःख होता है, उतना ही जानवरों को भी होता है। अगर अपने बच्चे के प्रति करूणा भाव रखते है, तो किसी जानवर का अपने स्वार्थ के लिये इस्तेमाल ना करें ।
मैं अपने बचपन की घटना आप सबको बताती हूँ।
मैं बचपन मे बहुत ही मन्द बुद्धि की थी। तब मुझे शाकाहार (veg) और मांसाहार (nonveg) का फरक समझ मे नही आता था। तिसरी कक्षा तक (तब मैं 8 साल थी ) मैंने वह खाया है जिसे मुझे खाने में बहुत ही स्वादिष्ठ लगता था और उसे अंग्रेजी भाषा मे non veg कहते है, जो जानवरो को मारकर पकाकर खाया जाता है, चाहे वो पंछी हो या मछली हो, या कोई चार पैर वाला प्राणी हो ।
मेरे बड़े भाई बचपन से ही मांसाहार ग्रहण नही करते थे, सिवाय अंडे के। जन्म से ही उनका शरीर मांसाहार से दूर था। पता नही...
मान लीजिये अगर किसी मनुष्य के बच्चे को जानवर ने खा लिया तो मनुष्य जितना दुःख होता है, उतना ही जानवरों को भी होता है। अगर अपने बच्चे के प्रति करूणा भाव रखते है, तो किसी जानवर का अपने स्वार्थ के लिये इस्तेमाल ना करें ।
मैं अपने बचपन की घटना आप सबको बताती हूँ।
मैं बचपन मे बहुत ही मन्द बुद्धि की थी। तब मुझे शाकाहार (veg) और मांसाहार (nonveg) का फरक समझ मे नही आता था। तिसरी कक्षा तक (तब मैं 8 साल थी ) मैंने वह खाया है जिसे मुझे खाने में बहुत ही स्वादिष्ठ लगता था और उसे अंग्रेजी भाषा मे non veg कहते है, जो जानवरो को मारकर पकाकर खाया जाता है, चाहे वो पंछी हो या मछली हो, या कोई चार पैर वाला प्राणी हो ।
मेरे बड़े भाई बचपन से ही मांसाहार ग्रहण नही करते थे, सिवाय अंडे के। जन्म से ही उनका शरीर मांसाहार से दूर था। पता नही...