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बाबा का विवाह
महाशिवरात्रि पर काशी नगरी में आते हैं विश्वनाथ बाबा,सब लोग मिलकर अपने पन से यह उत्सव मनाते हैं।क्या अमीर क्या गरीब, अपने विवाह उत्सव पर बाबा एक पल नहीं सोते हैं।
पूरा दिन - पूरी रात सिर्फ अपने भक्तों के संग होते हैं।साल में यह एक अकेला अवसर होता है जब श्री काशी विश्वनाथ दरबार लगातार साढ़े चौआलिस घंटे खुला रहता है। बाबा विश्वनाथ दरबार से लेकर पूरी काशी नगरी में बाबा के विवाह का उल्लास हवाओं में घुलकर बहता है। बाबा के विवाह की तैयारीयां तो यहां काशी नगरी में पखवारे भर पहले से ही शुरू हो जाती हैं, लेकिन उत्साह फागुन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी की भोर से ही छलक पड़ता है।हर गली हर मोड़ पर श्रद्धा की डोर का छोर अपने बाबा के धाम की ओर होता है।भोर में पट खुलते ही मंगला आरती के लिए गर्भगृह विभिन्न प्रकार के सुगंधित फूलों की सुवास से महमह हो जाता है। दूध-ठंडाई,भांग-धतूरा,मेवा- दही,फल-मिष्ठान से करमेटाव के बाद बाबा पान जमाते हैं, और भक्तों के बीच आ जाते हैं। दोपहर में भोग आरती और फलाहार लेते हैं।
यहां झुकते हैं सारे नियम,बताते हैं कि काशी परम्पराओं के प्रति कितना आग्रही है और बात जब बाबा के दरबार की हो तो कहना ही क्या।जो भक्त कहें वहीं सही। इसमें नियम-कानून आड़े नहीं आता, सभी विनम्रता से झुक जाते हैं।
© स्वरचित Radha Singh