उपन्यास- अध्याय १
एक समय था जब धरती पर विनाश कि छाया मंडरा रही थीं। जब दुनिया की सारी नस्ले अपने अस्तित्व को लेकर संकट में थीं। यह एक ऐसा समय था जब वसुधा पर अराजकता फैली हुईं थीं और देवताओं ने धरती को अकेला छोड़ दिया। इस अराजक काल में धरा पर अन्य ताकतवर नस्ले जो मनुष्यों की धन-धान्य से भरी बस्तियां लूटने पर आतुर थीं,उन्होंने मनुष्यों कि नगरियों पर हमला कर दिया।
अधिकांश मानव मैदानों में बनी बस्तियों में रहते थें। उनकी कुछ बस्तियां तो हमारे वक्त के नगरों से भी बड़ी थीं। मैदान जो...
अधिकांश मानव मैदानों में बनी बस्तियों में रहते थें। उनकी कुछ बस्तियां तो हमारे वक्त के नगरों से भी बड़ी थीं। मैदान जो...