...

15 views

खुद मे हीं
खूद मे हीं खोना है बाहर की दुनिया मे
न जाना है
अब तो अपने भी अपने नही तो क्यों दुसरो मे खोना है खुद के दिल मे
खुद को रखना है हर जरुरत को खुद हीं पुरा करना है खुद मे हीं अब दुनिया को
देखना है अपने हर अल्फाजो को एक दिन स्कारना है खुद की जरूरत खुद बनना है
अब हम भी थक गये अपनों से हीं धोखा खा के अब खुद को भी अलग अंदाज मे संवारना है
दुनिया दारी से न मतलब रखना है अपनी पुरानी वाली हसी को दुबारा पाना है
थके तो हम भी है रोते रोते मगर जिंदगी की हकीकतो से संभालना भी सीख गये
और ये लम्हे भी बहुत यादगार बन गये खुद मे हीं अब हर खुशी को ढूंढ के खुश हो जाती हु
अब न हीं गम है किसी चीज़ का अब ऐसे हीं हर बात पर मुस्कुरा देती हु
दुनिया से हार गई हु मगर खुद से जीत गई हु
© Goldi Singh