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स्वर्ग या नर्क ?
एक बार किसी महान व्यक्ति की मृत्यु हो गयी।
वो इतने बड़े धरमात्मा और सज्जन थे कि उन्हें भगवान ने अपने आपने लौक में लाने का निर्णय किया और उन्हें लेने स्वयं भगवान विष्णु अपनी सवारी पर आये।
भगवान उनको आपने साथ अपनी ही सवारी में साथ लेके जा रहे थे। तभी उन्होंने भगवान से एक इच्छा जाहिर की।
वो बोले प्रभु क्या आप मेरी एक इच्छा पूरी करेंगे?
भगवान बोले हाँ बोलो आप तो इतने बड़े धर्मात्मा हैं आपकी इच्छा हम जरूर पूरी करेंगे।
उन्होंने कहा प्रभु मुझे नर्क और स्वर्ग के मार्ग से ही बेकुंठ (भगवान का धाम ) लेके चलिए मैं नर्क और स्वर्ग देखना चाहता हूँ।
भगवान बोले ठीक है चलिए।
सबसे पहले नर्क आया। वहाँ उन्होंने देखा एक बड़ा और काफ़ी ऊँचा कटोरा रखा है जिसमें खीर है। और बहुत सारे पेड़ लगे हुए हैं। वहाँ जो लोग हैं खीर ना खाने की वजह से भूख से तड़प रहे हैं रो रहे वहाँ की स्तिथि बहुत ख़राब है। फिर भगवान उन्हें स्वर्ग में लेकर गए। वहाँ भी वैसा ही कटोरा था और बहुत सारे पेड़ लेकिन वहाँ के लोग खुश थे नाच रहे गा रहे थे आनंदित थे। स्वर्ग और नर्क को पार करके जब बेकुंठ की और चलने लगे तो उन सज्जन व्यक्ति ने पूछा प्रभु दोनों जगह समान परिषथितियाँ थी फिर यहाँ लोग इतने खुश कैसे?
भगवान बोले वहाँ के लोग अपनी हालत पर रोने लगे और उसी अवस्था और अपना जीवन मानकर रोने लगे लेकिन स्वर्ग में रह रहे लोगों ने उन परिस्थितियों में बिना घबराए और रोए मेहनत और कुशलता से उन पेड़ो की लकड़ियों से एक सीढ़ी बनाई जिससे वो उस खीर तक पहुंच सके। वो व्यक्ति खुश थे की उन्हें उनके सवालों का जवाव मिल गया।

ये कहानी स्वर्ग या नर्क की नहीं बल्कि हमारी ही दुनिया की है भगवान ने हम सबको एक जैसी परिस्थितियां दी है हम अपनी मेहनत और कुशलता से उसे स्वर्ग या नर्क बना सकते हैं।
© श्वेता श्रीवास