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अभिवादन.....✍
प्यारे साथियों,

कुछ दिन पहले बस यूँ ही बैठे - बैठे playstore से writco app को download किया I ये app खोलते ही इतनी सुंदर - सुंदर रचनाओं को देखा, कि रहा नहीं गया, ओर आते ही हम भी अपना बसता डायरी खोलकर शुरू हो गए I कई दिनों से सोच रहा हूँ कि आपके रुबरु होकर आपकी प्रतिभा को, आपकी लेखनी को नमस्कार करुँ, बस आज समय निकालकर, थोड़ा साहस जुटाकर आपके समक्ष उपस्थित हुआ हूँ, यूँ तो ईश्वर का प्रेम सर्वत्र दिखाई देता है, पर एक लेखक पर, एक कवि पर उसका विशेष प्रेम है, ऐसा मुझे लगता है, क्योंकि यूँ तो ईश्वर ने समस्त ब्रमांड की रचना की है वही उसके शब्दों को भी ब्रह्मवाक कहा गया है, ईश्वर ने शब्दों की उसी सर्जनात्मक शक्ति का प्रसाद देकर आप सभी पर अपनी मोहर लगायी है, ताकि एक लेखक, एक कवि अपनी सर्जनात्मक शैली से, जीवंत विचारों से राष्ट्र में नयी चेतना, उत्साह व उमंग का निर्माण कर सके, व आने वाली पीढ़ी का मार्ग दर्शन कर सके, आप भी अपनी लेखनी में विभिन्न प्रकार के रसो से ओतप्रोत रचनाओं को लेकर आते है, फिर चाहे वो भाव रस हो, या प्रेम रस, श्रृंगार रस हो या वीर रस I जीवन के यथार्थ पर, समाज की कुरीतियों पर चोट करने की अदभुत क्षमता व साहस आपकी लेखनी में है, कवि अपने मुक्त विचारो से, अपनी कल्पना मात्र से रवि तक लेकर जा सकता है, जैसा चाहे वैसा सर्जन कर सकता है I आप सभी सर्जनहार है इसलिए आप सबको, आपकी सर्जनशीलता को, आपकी शैली को, आपकी क्षमताओं को, आपके गुणों को, आपकी अभिव्यक्ति को, आपकी कलम को नमस्कार हैं I

अपने परिचय के रुप में बताने के लिए मेरे पास ज्यादा कुछ नहीं है जो आपको बता सकूँ, बस थोड़ा बहुत लिखने का, ओर लिखकर गाने गुनगुनाते का शौक़ रखता हूँ , ओर एक बात जो आपको अच्छी लगेगी, मैं श्रोता बहुत अच्छा हूँ पढ़ना और सुनना मुझे बहुत पसंद है, मेरे नायक भगवान श्रीकृष्ण है, बस उन्हीं का फै़न हूँ, मुरली की धुन पर ग्वाल बालों, गोपियों, गईयों व समस्त ब्रमांड को मंत्रमुग्ध करने वाला, जीवन की विपरीत परिस्थितियों में भी महाभारत जैसे रणांगण में धर्म युद्ध का शंखनाद करके छाती ठोककर प्रेरणादायक गीत कैसे गा सकता है, ऐसा मार्ग दर्शन उनके जीवन से मिलता है, जीवन में परिस्थितियां कैसी भी हो, वीरतापूर्ण अपने कर्तव्य का निर्वहण कैसे करना है, उनसे सीखने को मिलता है, कभी कभी ऐसा लगता है, कि अर्जुन तो एक निमित्त मात्र था, श्रीमद्भागवत गीता भगवान ने हमारे लिए गायी है, ताकि जीवन की विकट परिस्थितियों में भी हम खिलखिलाते हुए अडिग रहे ! बस इतनी सी अभिलाषा है कि योगेश्र्वर श्रीकृष्ण के आशीर्वाद व आप सबके प्रोत्साहन से मैं भी जीवंत रचनाओं का सर्जन कर सकूँ, ओर सागर के थप्पड़ों से निराश व दिशाहीन होकर भटक चुके किसी जहाज को किसी दीप स्तम्भ की भाँति निमित्त मात्र बनकर दिशा दिखा सकूँ I

मेरी कोशिश रहेगी कि आपकी हर पोस्ट पर like करुँ, पर ना चाहते हुए भी कुछ छूट जाएगी I ये बात सही है कि like से प्रोत्साहन मिलता है, पर आप सभी का लेखन किसी like का मोहताज नहीं है, आप सभी अतुलनीय है, सर्वश्रेष्ठ हैं I

आपका,

© 𝘕𝘪𝘴𝘩𝘢𝘯𝘵 𝘎𝘢𝘳𝘨.....✍