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लोगों में समझ की कमी
जब लोगों को में समझ की कमी रहती है, तब वो बहकी बहकी बातें करती है, जिससे लोग पागल जैसा व्यवहार करते है। अब अगर लोगों में समझ ही नहीं रहेगी, तो तुम कैसे उसे आशा कर सकती हो, की वो तुमसे सही से पेश आएगा, क्या ये सोचना सही है? मेरे हिसाबसे तो नहीं , क्योंकि लोगों का क्या है, वो एक के सामने कुछ और दूसरे के सामने कुछ बोलेंगे, और फिर अगर उनसे पूछा जायेगा, की ऐसा तुमने क्यों बोला था, तो वो ऐसे दिखायेंगे, जैसे की उन्होंने वैसे कुछ बोला ही नहीं था। कभी कभी लोग ऐसे बातें करेंगे, जिससे वो देखेंगे नहीं की सामने वाले को ठेस पहुंची है, उल्टा उसका और मज़ाक उड़ाएंगे, और कभी कभी मज़ाक मज़ाक में हम कब कुछ ज्यादा भी अगर बोल दिए, तो हमें तब तक ध्यान में नहीं आता, जब तक कोई हमें आयना न दिखाएं। क्यों न हम ऐसे बन जाए, जिससे उनके आयना दिखाने से पहले ही हम सुधर जाएं और अपने जबान पर ठहराव रखे। कर सकते है न हम ऐसे, फिर क्यों नहीं करते है हम ऐसे, और ऐसे क्यों करते है, जिससे लोगों को ठेस पहुंचती है, और यह बात जानते हुए भी, हम ऐसे बोलते है, ताकि उसको और दिक्कत हो जाए और उसे बुरा लगता रहे। कभी कभी लोग अगर समझदारी वाली बातें करेंगे न, तो लोगों के बीच में हो रहे झगड़े खुद ही काम हो जायेंगे। बाकी तो लोगों के सोच के ऊपर है, की लोग कैसे सोचेंगे और क्या करेंगे, क्योंकि उनकी बोलनी और करनी में बहुत अंतर रहता है।
© Written by anjaan_lekhika_