चैप्टर 1
'ओके, ओके मेम, ईशान के नाम से रजिस्टर कर लीजिये आप... बिल्कुल मेम, आप कॉल बैक कीजिएगा।' एक हाथ में रुमाल से सिर का पसीना साफ़ करते हुए, एक हाथ से जेब में पैसे टटोलते हुए और मोबाइल को कंधे और कान के बीच में रखकर मैं टाटा मैजिक में चढ़ा।
अभी-अभी मैं एग्ज़ाम हॉल से आ रहा था। एग्ज़ाम में एग्ज़ाम लिखने मात्र से एग्ज़ाम ख़त्म नहीं होते, एग्ज़ाम हॉल से रास्ते भर 'पेपर कैसा गया, पेपर कैसा गया' वाले सवाल से बचते हुए, सुरक्षित रूप से बिस्तर तक पहुँचने के बाद ही एग्ज़ाम क्लियर मानी जाती है। वो बात अलग है कि, रिजल्ट में कुछ और हश्र हो। एक तो फार्मा में वैसे ही कुछ याद नहीं रहता, तो नई-नई दवाइयों के नाम ख़ुद ही बनाने पड़ते हैं, फ़िर 4 माले की सीढ़ियां उतरकर, कॉलेज हॉल से कॉलेज के मेन गेट तक तपती दोपहर में पैदल एक किलोमीटर का सफ़र, दिमाग़ में अलग ही गर्मी और चिढ़ पैदा करता है।
दोस्त के कहने पर उसकी भेजी लिंक से ट्रेडिंग एप्प डाउनलोड तो कर लिया था। पर मन और धन, दोनों की कमी की वजह से केवाईसी वगैरह की प्रोसेस बाकी थी। जिसे कम्प्लीट करने पर मुझे इक्कीस रुपए और दोस्त को दो सौ रुपए का बोनस 'रिफर एण्ड अर्न' से मिलने वाला था । बस, उसी के लिए ट्रेडिंग एप्प वाले दिन भर फोन लगाते थे। मैंने कॉल कट किया, और बगैर इधर- उधर ध्यान दिए मैजिक के पीछे वाली सीट पर बैठ गया। मोबाइल को अप्रोन की राइट जेब में रखा और एक बार फ़िर पसीना साफ़ किया।
'तो, शक़्ल के साथ नाम भी बदल लिया क्या आपने ?' अचानक पास में एक लड़की की आवाज़ आती है। मेरा ध्यान अभी भी पसीने से भीग चुके रुमाल पर था, और वैसे भी मेरी तो कोई बैच-मेट मैजिक से अप-डाउन करती नहीं है, जो मैं आवाज़ को पहचानता।
'ओ मिस्टर,...डॉक्टर माधव, आप ही को बोल रही हूँ।' मैंने...
अभी-अभी मैं एग्ज़ाम हॉल से आ रहा था। एग्ज़ाम में एग्ज़ाम लिखने मात्र से एग्ज़ाम ख़त्म नहीं होते, एग्ज़ाम हॉल से रास्ते भर 'पेपर कैसा गया, पेपर कैसा गया' वाले सवाल से बचते हुए, सुरक्षित रूप से बिस्तर तक पहुँचने के बाद ही एग्ज़ाम क्लियर मानी जाती है। वो बात अलग है कि, रिजल्ट में कुछ और हश्र हो। एक तो फार्मा में वैसे ही कुछ याद नहीं रहता, तो नई-नई दवाइयों के नाम ख़ुद ही बनाने पड़ते हैं, फ़िर 4 माले की सीढ़ियां उतरकर, कॉलेज हॉल से कॉलेज के मेन गेट तक तपती दोपहर में पैदल एक किलोमीटर का सफ़र, दिमाग़ में अलग ही गर्मी और चिढ़ पैदा करता है।
दोस्त के कहने पर उसकी भेजी लिंक से ट्रेडिंग एप्प डाउनलोड तो कर लिया था। पर मन और धन, दोनों की कमी की वजह से केवाईसी वगैरह की प्रोसेस बाकी थी। जिसे कम्प्लीट करने पर मुझे इक्कीस रुपए और दोस्त को दो सौ रुपए का बोनस 'रिफर एण्ड अर्न' से मिलने वाला था । बस, उसी के लिए ट्रेडिंग एप्प वाले दिन भर फोन लगाते थे। मैंने कॉल कट किया, और बगैर इधर- उधर ध्यान दिए मैजिक के पीछे वाली सीट पर बैठ गया। मोबाइल को अप्रोन की राइट जेब में रखा और एक बार फ़िर पसीना साफ़ किया।
'तो, शक़्ल के साथ नाम भी बदल लिया क्या आपने ?' अचानक पास में एक लड़की की आवाज़ आती है। मेरा ध्यान अभी भी पसीने से भीग चुके रुमाल पर था, और वैसे भी मेरी तो कोई बैच-मेट मैजिक से अप-डाउन करती नहीं है, जो मैं आवाज़ को पहचानता।
'ओ मिस्टर,...डॉक्टर माधव, आप ही को बोल रही हूँ।' मैंने...