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रेवाड़ी की एक विशेष यात्रा


अभी तक मैं बहुत दिनों से घर पर ही रह कर पढ़ाई कर रहा था, क्योंकि अब मेरी एग्जाम जो सिर पर आ चुकी है ! अतः मैं आज शाम को ही घर से कल की परीक्षा के लिए पापा के पास रेवाड़ी चला आया मैं रानीखेत एक्सप्रेस ट्रेन में आया था हालांकि उसमें सिर्फ मिलना बड़ा ही मुश्किल था ट्रेन अब राजगढ़ से आगे निकल चुकी थी बहुत तेज उसकी स्पीड थी ऐसा मुझे लग रहा था इसी समय मैं बाहर खिड़कियों की तरफ देख रहा था और मन ही मन कुछ सोच रहा था तब ही मुझे बमुश्किल सीट मिल गई !
इसी दौरान उस ट्रेन में मेरे साइड वाली चेयर की सीट पर दो ऐसे नवाबी बाबू बैठे थे जोकि दिखने में भी कुछ ज्यादा ही रईस पैसे वाले खानदान से थे मैं उनके ठीक बगल में बैठा था जिसमें चार पांच लोग एक साथ बैठ सकते हैं और वे सिर्फ दो लोग ही उस सीट पर बैठे थे इधर ट्रेन तेज गति से हवा में लहरा रही थी मैं ट्रेन के अंदर अपनी सीट पर बैठा उनकी बातें सुन रहा था हालांकि वे अब तक तो अपनी सीटों पर ही आराम फरमा रहे थे जैसे कि उनमें से एक ने तो अपने मुंह पर मास्क पहना हुआ था क्योंकि इस समय एक बड़ी ही सचेतक व खतरनाक बीमारी कोविड-19 कोरोना आ गई थी और अभी भी फिलहाल भारत समेत अन्य देशों में चल ही रही है मैंने भी इसी महामारी से सचेत रहने हेतु अपने मुंह पर मास्क लगा रखा था इधर ट्रेन अब तक खैरतल स्टेशन पहुंचने वाली थी अभी दोनों नवाबों की बातें शुरू हो गई और एक रोचक घटना यहीं से प्रारंभ हो गई शुरुआत में दोनों कुछ ऐसे ही आपसी बातें कर रहे थे
अचानक तभी एक आईआरसीटीसी का वेंडर वहां आया जो कि चाय नाश्ता बेच रहा था उनमें से तभी एक ने चाय मांगी और बोला- "भाई साहब, थोड़ा फुल कर देना! "
तब ही वेंडर ने जवाब दिया- मजाक यह इतना भर गया है इससे ज्यादा नहीं हो सकता फिर वह नवाबी बाबू बोला ठीक है ठीक है मत दे तब उन नवाबों में से एक बोला यह चाय इतनी ही देते हैं क्या थोड़ी और डाला करें!
इस वेंडर के जाने के बाद दूसरा दूर से ही चिल्लाते हुए आया -चाय, चाय, गरम गरम चाय!
उसके आने पर तभी दूसरे ने भी उसे ₹10 थमा एक कप चाय ले ली उसके साथ ही उस दूसरे ने भी ले ली ! मगर उन्हें उस वेंडर से बोला चाय इतनी कम क्यों? जिसका कोई स्वाद भी नहीं है, बस केवल सिर्फ कोरा पानी भरा है और कुछ नहीं है! वेंडर बोला -"भाई साहब,यदि पानी है तो लेते क्यों हो? यह कहकर वह चला जाता है!
हम दोनों नवाब उससे कहासुनी सी कर बैठ गए! इनमें से एक ने वेशभूषा में कोट पेंट पहन रखें थे तो दूसरा कपड़ों में सिंपल ही था सीट पर बैठा हुआ उनमें से एक बोला मैं वैसे तो चाय कोरी नहीं पीता उसके साथ सुबह नाश्ते में तीन चीज साथ खाता हूं उनमें से यह खास जैसे की इडली एक डोसा प्लेन आलू वाला और एक कप चाय यही मेरा डिनर है सुबह का! फिर उसने दूसरे से पूछा- आप सुबह क्या खाना पसंद करते हैं?
-"क्या आप भी मेरी तरह प्लेन डोसा ही खाते हैं या फिर कोई दूसरी चीज जैसे कि बड़ा पाव" फिर वह दूसरा आदमी कहता है उसे आलू की चीजें पसंद नहीं है अतः वह यह सब नहीं खाता है फिर वह पेंट कोट वाले ने कहा तो आपको वह दही वाला डोसा पसंद है!
दूसरा -नहीं, इसी तरह वे दोनों डोसा इडली वडा पाव आदि खाने खाने की चर्चा कर रहे थे मैं दिखने में जितने मुझे नवाबी लग रहे थे ऐसे ही वह बड़ी-बड़ी बातें भी कर रहे थे !

अब मैं रेवाड़ी पहुंचने ही वाला था ट्रेन की स्पीड कम हो चुकी थी और उनकी चर्चा भी खत्म होने के मोड़ पर थी अब वह कोई बड़े-बड़े बंगलो मकानों की बात कर रहे थे तो मुझे लगा कि वाकई यह तो बड़े ही खानदान के रहीस लोग हैं फिर मैं मन मन ही मन सोचने लगा यह लोग गरीबों के बारे में क्या स्थिति के बारे में अवगत नहीं है हैं इतनी अच्छी लाइफ जीते हैं और एक तरफ वे बेचारे गरीब जिनके पास कुछ भी नहीं होता इडली डोसा खाने की बात तो बहुत दूर की होती है दो वक्त की उम्मीद उनकी मात्र दो रोटी मिलने अर्थात पेट बढ़ने की की होती है यही है नवाबी लोगों की लाईफ स्टाइल और गरीब के बीच की लकीर!