...

5 views

एक तरफा प्रेम कहानी
एक गांव में एक घनिष्ठ परिवार रहता था और
और उसमे और भी बहुत परिवार थे बात होगी २००४या५की इस वक़्त ना तो फोन था ना आज के ज़माने की सोशल मीडिया।
उस वक़्त बड़े घर और उच्च कोटि के जाती को आदर सम्मान बहुत जायदा होता था।
अब कहानी चालू होती है यहां से इसी परिवार का एक छोटा सा लड़का जिसकी उम्र करीब ९ होगी जिसका नाम आदित्य था जो कि इस उम्र बहुत शरारती नतखटी और चंचलता हर एक कि होती है दादा बीमार रहते थे दादी से लाड प्यार मिलता और पापा दफ्तर कार्यरत थे। धीरे धीरे उम्र का सिलसिला बढ़ता गया
धीरे धीरे समय गुजरा अब उम्र और बढ़ चली आदित्य के दादा को दम्मा की शिकायत थी।
और सभी परिवार के लोग उनका दवा इलाज के लिए हर तरफ से आर्थिक मदद करते एक दिन वो दिन भी आया जो बहुत अशुभ था आदित्य अपने दादा के पास ही सोता था उस रात उसने महसूस किया की उसकी दादा की हालत आज जादा गंभीर क्योंकि ऐसा हमेशा से दादा को देखता आया था मगर आज कुछ अलग ही बात थी आदित्य के चाचू शहर के अस्पताल में उसके दादा को के गए जहां उनका हमेशा से इलाज चलता था मगर आज डॉक्टर साहब ने देखते ही कुछ अलग नजर से देखा और कहा आज इनका बचना मुश्किल है अस्पताल पहुंच ही रहे थे कि दादा की मृत्यु हो गई अब मानो परिवार मै कोहराम सा मच गया हो दादा को घर लाया गया लाश को रखा गया सभी लोगो का रो रोकर बुरा हाल था अब
लाश को उठा के गंगा किनारे अग्नि की प्रक्रिया उनके बड़े बेटे ने की जिनका लड़का आदित्य था दादा वैसे तो चार भाई थे मगर पसब अलग कोई कहीं पर कोई कहीं पर अब दादा का क्रियाक्रम सुसज्जित किया गया
आदित्य भी अब जवान हो चुका था एक दिन आदित्य गाव में टहलते हुए कही जा रहा था तभी पहली नजर उसने नैना को देखा नैना वैसे तो नीची जाती की थी मगर रंग गोरा होने चलते उसे कोई का नहीं सकता ना जाहिर कर सकता था नैना को देखते ही आदित्य के दिल में हजार फूल खिल गए हो अब आदित्य को नैना को बिना देखे एक पल नहीं र रहा जाता मगर नैना को ये बात खबर नहीं थी।
अब नैना को कैसे प्यार का ऐहसास दिलाया जाए आदित्य हर वक़्त सोचने लगा गाव के कुछ आदित्य के हमउम्र लडको को भी खबर लगी इधर आदित्य परेशान ही था कि कैसे प्यार का ऐहसास दिलाऊ तब उसको उपाय सोचा क्यों ना उसको इशारा किया जाए।
अब आदि ने वैसा ही करने की सोची और अपने छत पर पहुंचा नैना का घर आदि क घर से थोड़ी दूर पर ही था संजोग वश नैना भी छत पर पहुंची तब तक आदित्य ने हाथ से इशारा किया निकिता ने तुरंत ही हाथों से मारने का इशारा किया अब तो आदि की हवाई गूम हो गई वक़्त बदला ज़माना बदल गया था और फोन क भी इस्तेमाल चालू हो गया था।
आदि ने सोचा क्यों ना एक बार फिर कोशिश की जाए वो फिर अगले दिन छत पर गया और देखने लगा नैना है की नहीं आज भी नैना छत पर दिख ही आदि पहले में मन ही मन खुश हुआ ।
फिर उसने फोन करने का इशारा किया तब नैना ने इस बार थप्पड़ मारने का इशारा किया
आदि समझ चुका था कि डाल नहीं गलेगी मगर वो नैना से बेइंतहा मोहब्बत करता था
फिर उसने कहा
मोहबत मेरी हो आंखो में सजा के रखूंगा।
एक बार दिल में जगह दो सीने से लगा कर रखूंगा ।
ये बात उसने दिल ही दिल बूडबूदया
अब नैना को बस देखता पर कुछ बोल नहीं पाता धीरे धीरे वक़्त गुजरा कुछ वक़्त बाद आदि को एक बात खबर हुई की नैना किसी और से बात करती है
उसको मानो एक बिजली का झटका सा लगा हो फिर उसने सोचा शायद यही मेरा नसीब यही मेरी तकदीर और आज भी नैना से वो एक तरफा प्यार करता है ।

कैसी लगी कहानी कृपा बिचार बताए तो आगे लिखूंगा नहीं तो नहीं।

© bedrad jindagi.