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ढेर भर मोहब्बतों का शहर
#ForgottenTown

सूरज ढलते ही,सालार अपनी पुरानी गाड़ी में बैठकर दूर तक फैली सड़क पर निकल पड़ा था। वह इस बार अपनी यात्रा पर हरी घास और औषधीय जड़ी-बूटियों की तलाश में था, जो मवेशियों के घाव भरने में काम आती थीं। सफर के बीच कहीं रास्ता बदलते हुए, वह एक छोटे से जंगल में घुस गया। रास्ता कच्चा और अनजाना था, लेकिन सालार ने सोचा कि यही सही समय है, कुछ नया तलाशने का।

रात का घुप्प अंधेरा और चमकते हुए तारे उसकी गाड़ी की हेडलाइट के साथ सुर मिलाते हुए एक अजीब समा बांध रहे थे। अचानक, एक मोड़ पर उसकी नज़र एक छोटे से गाँव पर पड़ी, जो किसी भी नक्शे में नहीं था। बोर्ड पर लिखा था - "ढेर भर मोहब्बतों का शहर"।

सालार ने गाड़ी रोकी और गाँव की ओर कदम बढ़ाए। गाँव में अजीब-सा सन्नाटा था, लेकिन हर गली की दीवारें खूबसूरत चित्रों और शेरो-शायरी से सजी थीं। ऐसा लगता था मानो हर कोना किसी खामोश कहानी को बयाँ कर रहा हो।

वह एक छोटी सी चाय की दुकान के पास पहुँचा और दुकानदार से पूछा, "भाई साहब, यह कौन सी जगह है? मैंने पहले कभी इस गाँव का नाम नहीं सुना।"

दुकानदार, जिसका नाम जावेद था, ने रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा, "ये ढेर भर मोहब्बतों का शहर है। यहाँ हमने बाहरी दुनिया से नाता तोड़ रखा है, हमें यहाँ के सुकून और मोहब्बत की जुगनुओं भरी रातें बहुत प्यारी हैं।"

सालार ने हैरानी से पूछा, "लेकिन क्यों? ऐसा क्या है यहाँ?"

जावेद ने चाय की प्याली बढ़ाते हुए बताया, "यहाँ हर रात आधी रात को एक अजीब घटना होती है। जो लोग बाहर से आते हैं और जिनके दिल में अधूरी मोहब्बत होती है, उन्हें यहाँ उनकी मोहब्बत का साथी मिलता है। जैसे तुम्हारी जिंदगी में किसी ने तुम्हारे दिल को छू लिया हो लेकिन वो तुम्हारी मोहब्बत को कभी समझ न पाई हो। यहाँ, वो तुम्हारे सपनों की तरह तुम्हारे साथ होती है। आधी रात को मिलने के बाद सुबह होते ही वो गायब हो जाती है, फिर केवल यादें बाकी रहती हैं।"

सालार के दिल में उसकी पुरानी मोहब्बत, सारा, की यादें ताज़ा हो गईं। वो लड़की जो उसके दिल में तो बसती थी, लेकिन असल जिंदगी में उससे दूर थी।

जावेद ने मुस्कुराते हुए कहा, "जाओ, घूमो इस शहर में, शायद तुम्हें भी तुम्हारी अधूरी मोहब्बत से मिलने का मौका मिले।"

उसने ने उसकी बात मानकर गाँव की गलियों में घूमना शुरू किया। हर गली में मोहब्बत की महक थी, जैसे हर दीवार, हर पत्थर ने किसी की दास्तान समेट रखी हो। आधी रात का समय हुआ, और अचानक सालार ने सारा को अपने सामने पाया। वह वही सारा थी, वैसी ही सुंदर और दिलकश। सालार की आँखों में आँसू आ गए, उसे विश्वास नहीं हुआ कि उसकी अधूरी मोहब्बत यहाँ पूरी हो रही थी।

वे दोनों एक बगीचे में बैठे, अपनी बातें की, और एक-दूसरे की मौजूदगी का आनंद लिया। सारा ने कहा, "मुझे पता है, सालार,कि तुम्हारी जिंदगी में मेरे लिए बहुत जगह थी, लेकिन मैं तुम्हारी मोहब्बत को कभी समझ नहीं पाई। यहाँ आकर मुझे समझ आया कि मोहब्बत का असली मतलब क्या है।"

रात भर उन्होंने अपने दिल की बातें कीं। लेकिन सुबह होते ही, सारा धीरे-धीरे धुंधली होने लगी। सालार ने उसे कस कर पकड़ना चाहा, पर वह जानता था कि यह मोहब्बत का शहर है, जहाँ अधूरी मोहब्बतें रात भर के लिए ही मिलती हैं।

सुबह होते ही सालार ने देखा कि सारा गायब हो चुकी थी। लेकिन उसके दिल में सुकून था, क्योंकि उसे उसकी मोहब्बत से मिलने का मौका मिला था। उसने जावेद को धन्यवाद कहा और अपनी यात्रा पर आगे बढ़ गया।

ढेर भर मोहब्बतों का शहर उसके दिल में हमेशा के लिए बसा रहा, जैसे अधूरी मोहब्बतों का एक खूबसूरत ख्वाब।

© --Amrita

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