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सफ़रनामा- चाय, चाँदनी और चोकीदारी…
सफ़रनामा- चाय, चाँदनी और चौकीदारी 😁😁

देख रहा है बिनोद….कैसे चाय के नाम पर मुझे भी चौकीदार बना दिया इन गुजरात वालों ने 😁☕️

फ़िलहाल मिर्ज़ापुर में हूँ….नही नहीं क़ालीन भैया वाला नहीं अपने मोदी जी वाला …अरे वही वाला जो अहमदाबाद में है …बस पिछले तीन दिनों से यहीं तफ़री काट रहा हूँ।

बड़े अरसे बाद गुजरात आया था सो लगा की इस बार तो गुजरात छान ही दूँगा महीन वाली छन्नी से …दूध का दूध और पानी का पानी कर दूँगा अबकी बार …पर नहीं यहाँ तो कहानी ही उल्टी निकली।

उस दिन जब कोटा से बस पकड़ कर रवाना हुआ तो लगा कि उदयपुर तक ही अपना राजस्थान रहेगा फिर बस गुजरात ही गुजरात होगा … हुआ भी यही, नींद नींद में उदयपुर निकल गया और जब आँखें खुली तो अहमदाबाद पहुँच चुका था।

बस से उतर कर अपनी होटल के लिए रवाना हुआ तो मालूम चला कि टेक्सी वाला भाई तो अपने राजस्थान से ही है, जानकर ख़ुशी हुई की चलो इस परदेस कोई तो अपना मिला।

अभी ख़ुशी चल ही रही थी की मेरा होटल आ गया, रिसेप्शन पर बैठा हुआ भाई मुस्कुराता हुआ मिला बातचीत से पता लगा कि वो राजसमंद से था….कुछ देर बाद जो भाई मेरा लगेज लेकर मुझे कमरे तक पहुँचाने आया था वो भी अपने डूंगरपुर से था।

मुझे लगा था कि बात यहीं पर रूक जायेगी पर नहीं इसे तो अभी और बढ़ना था सो मेरे टूअर के लिए आने वाली कार का ड्राइवर भी अपने सलुम्बर का निकला …एयरपोर्ट के रास्ते पर भाई से थोड़ी बात की तो पता की गुजरात में जो हमारी टूअर हैंडलिंग एजेंसी है उसके मालिक भी राजस्थान से ही है । 🙄

ख़ैर अब हम एयरपोर्ट पर थे मेरे फ़्रांसिसी पर्यटक आ चुके थे सो जब उनसे मेल मुलाक़ात का दौर चालू हुआ तो पता चला कि उनका पिछला टूअर ( कोविड से पहले) राजस्थान का ही था। 😉

बीते दो दिनों से अहमदाबाद का चप्पा चप्पा छान मारने के बाद जब आज शाम को सरखेज रोजा (मशहूर सूफ़ी दरगाह) पहुँचा तो ज्ञात हुआ कि अहमदाबाद के नवनिर्माता अहमद शाह द्वितीय को साबरमती के किनारे अहमदाबाद बसाने की सलाह देने वाले सूफ़ी संत अहमद खट्टू गंजबक्श भी अपने नागौर से ही थे….और हाँ,दरगाह में लगा हुआ सारा पत्थर भी उन्होंने राजस्थान से ही मँगवाया था।

ख़ैर….अभी अभी घी-काँटा चौक से खाना खा कर लौटा हूँ, अपने पाली वालों के रेस्टोरेन्ट पर जो की देवनारायण मंदिर के पास है, वहीं सामने से कुछ फाफडे नमकीन भी लिए हैं बाँसवाड़ा वालों की दुकान से ….😊

तू देख रहा है ना बिनोद कैसे मोदी जी के शहर में मुझ पर नज़रें रखवाई रहीं हैं अपने ही राजस्थानी भाईयों से!

सफ़र अभी शुरू हुआ है कल सुबह अहमदाबाद से निकल जाउँगा….यदि आगे भी यूँ ही राजस्थानी मिलते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब राजस्थान को दुबारा परिसीमन करवाते हुए गुजरात का बहुत बड़ा भाग राजस्थान मिलाना पड़ जाए।

चलिए अब सोते हैं बाक़ी की बकैती फिर किसी और दिन।

सफ़रनामा- चाय, चाँदनी और चौकीदार
✍️विक्की सिंह

#मिर्जापुर
#मैभीचौकीदारहूँ
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