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आखरी दिन
महीने का आखरी दिन है,इस आखरी दिन के लिए खर्च करते हैं पूरा का पूरा महीना हम।
पूरे महीने के बदले मिल जाते हैं चन्द रुपए जिनसे खरीद लाता है कोई
किसी के कान के झुमके,
कोई ले आता है एक प्यारी सी गुड़िया।
किसी को आटा चावल का हिसाब चुकाना होता है।
कोई करता है किसी खास दिन को और खास बनाने की कोशिश।
किसी ने खरीदे होंगे अपनी साड़ी का मैचिंग कुर्ता किसी खास के लिए।
कितना कुछ, उधार रखता है ये आखरी दिन।
तुम्हे भी तो खरीदना होगा ना किसी की बिंदिया एक डिब्बी सिंदूर का और कुछ जोड़ी चूड़ियां।
वो कर रही होगी हर शाम चाय पर इंतजार तुम्हारा हर दिन,
पर इस आखरी दिन देखती होगी चौखट बार–बार और सोचती होगी आज दिन काफी लंबा रहा।
ये इंतजार की घड़ी बड़ी लगती होगी उसके लिए भी।
पर याद रखा की कहीं इस आखरी दिन के इंतजार में पूरा महीना जीना तो नही भूल रहे हो।
इस आखरी दिन के जितना ही जरूरी है,पूरा महीना।
तो रोज जीना थोड़ा–थोड़ा।
खुश रहना रोज थोड़ा सा।
और सजा लेना एक सपना आंखों में महीने के आखरी दिन के लिए भी।

#जिंदगी खूबसूरत है


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