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मेरी नन्ही अभिलाषा
शाम को जब घर लौटा तो देखा कि बिटिया अपना स्कूल का होमवर्क कर रही थी आज उसने नज़र उठाकर भी नहीं देखा या मेरे आने का उसे पता न चला तो मैंने ही कहा कि क्या बात हैै आज वर्क लोड ज्यादा तो नहीं है न अभिलाषा ,
बिटिया का नाम अभिलाषा ही है ।

नहीं नहीं पापा ऐसी तो कोई बात नहीं पर हाँ आज आप मुझसे कोई काम की मत कहना ,
भई ऐसी क्या बात है नाराज हो
नहीं पर बताइये आज क्या है ,मैंने कहा सोमवार शिवजी का वार है और क्या ?
गलत सोमवार के साथ हमारा त्यौहार है ! आपका कौनसा त्यौहार ! भूल गए आज बाल दिवस है आज के दिन बस खेलना कूदना मस्ती धूमधड़ाका बस !
हाँ बताओं न क्या है यह बालदिवस !
हमारे प्रथम प्रधानमंत्री चाचा नेहरू का जन्मदिवस ही बालदिवस है !
अच्छा अच्छा तो क्या हुआ स्कूल में आज जन्मदिन मनाया
हाँ कार्यक्रम हुआ गीत भाषण आदि बालसभा में सुनाए,अंताक्षरी,खेलकूद सभी हुआ !

तो हम क्या करें खेले मैं भी अपने बचपन में लौट आया बोला मैं घोड़ा बन जाऊँ तुम सवारी करना ,कुंकडू कूं करूं,पशु पक्षी की आवाज निकालूं तुम भी निकालना !
आज मैंने भी अपना बचपन जिया! फिर गीत ,कविता की
बात चली तो बालिका अड़ गई कि मैं वह कविता जो पेपर में छपी थी मेरे एडमिशन के पहले दिन वो सुनना चाहती हूँ !

(फिर मैंने वह कविता अपनी डायरी में से ढूँढकर सुनाई जो कवर फोटो में भी है जो इस प्रकार है )

मेरी नन्ही अभिलाषा स्कूल जा रही है ,
प्रसन्नता से भरपूर,हँस हँस के सबको
अपना टिफिन,बेग,बाटल,ड्रेस दिखा रही है ,
स्कूल जा रही है ...

नहीं जानती गुडमार्निंग के मायने
सच-झूठ का अन्तर
निश्छल ,निर्मल मन खुशियाँ मना रही है ,
स्कूल जा रही है...

भूल गई है समय पर खाना ,पीना
रोना,जिद करना
बस एक ही धुन है ,जल्दी स्कूल जाना
सबको समझा रही है ,
स्कूल जा रही है ...

आता नहीं कोई ,कुछ भी शिष्टाचार
अनगढ़ है ,भोली है ,पर उत्साह अथाह अपार
अलसा रहे परिजनों की सुस्ती भगा ,
चुस्ती दिखा रही है ,
स्कूल जा रही है...

बढ़ रही है ,आशा,उमंग लिए ,
शिक्षा की नव आस लिए
जीवेम् शरदः शतम् की
उज्ज्वल शुभकामना संग ले
स्कूल जा रही है ....
मेरी नन्ही अभिलाषा
स्कूल जा रही है ...।।

यह कविता सुनाकर मैं लौट गया बचपन में अपने
बालदिवस पर बालक बनकर !
सच में कितना अनदेखा करते हैं हम बाल भावनाओं को ,
बस थोपते रहते हैं महत्वाकांक्षाए अपनी इस सोच में कि तुम्हें करना ही है यह नहीं सोचते कि उनका बचपन छीन रहा है और हम तने बने बैठे हैं सारी बातों को उनमें फलने और
साकार करने के लिए ।

-MaheshKumar Sharma
15/11/2022

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