...

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अपने ही घर में पराई सी हो गई है जिंदगी...
मैं दुनिया से दूर हो कर अकेलापन ढूंढती हूं
तुम्हें भूलने के लिए
पर देखो अकेलेपन में भी मैं घंटों सिर्फ तुम्हें ही सोचती हूं।।
अकेले में बैठकर खुद को समझने कि कोशिश करती हूं तो...
दिमाग ने कहा:-
अब हमारे बीच कुछ भी नहीं रहा !
दिल ने कहा:-
है ना गिले-शिकवे शिकायतें शक नाराजगी और बिछड़ने का गम।
और भी ना जाने क्या क्या
मेरी सबसे बड़ी समस्या यह है कि
हमेशा ख्यालों में खोई रहती हूं
दिमाग में कुछ ना कुछ चलता ही रहता है
कुछ देर ध्यान मुद्रा में बैठूं भी तो मैं अपने उलझे विचारों कि घुटन से बैचेन हो जाती हूं
मुझे नहीं मालूम मैं किस दौर में हूं
पर जो भी है
मैं संतुष्ट और खुश नहीं हूं
कोई नहीं समझ सका पर
काश तुम समझने कि कोशिश करते
मेरे अल्फ़ाज़ कि जगह मेरी अनकही बातों को
मेरी हंसी के पीछे छुपे मेरे हालात को।।



© काल्पनिक लड़की