सुकून
व्यस्तताओं के चलते कहिए, या कुछ आलस भी मान लिजिए, लंबे समय से कुछ लिख नहीं पाई । आज जब खुद की लिखी कुछ पुरानी कविताएं पढ़ी, तो समझ आया.... इतना भी बुरा नहीं लिखती । ☺️
सच कहूँ तो, खुद की रचनाएं पढ़ एक स्फूर्ति-सी आ जाती है, मन पुनः एक नयी उमंग से भर जाता है, अधियारें में भी उजाला महसूस होता है। किसी प्रतिस्पर्धा से दूर खुद में ही एक सुकून मिलता है।
© Mridula Rajpurohit ✍️
🗓️08 August, 2020
00:53 am
© All Rights Reserved
व्यस्तताओं के चलते कहिए, या कुछ आलस भी मान लिजिए, लंबे समय से कुछ लिख नहीं पाई । आज जब खुद की लिखी कुछ पुरानी कविताएं पढ़ी, तो समझ आया.... इतना भी बुरा नहीं लिखती । ☺️
सच कहूँ तो, खुद की रचनाएं पढ़ एक स्फूर्ति-सी आ जाती है, मन पुनः एक नयी उमंग से भर जाता है, अधियारें में भी उजाला महसूस होता है। किसी प्रतिस्पर्धा से दूर खुद में ही एक सुकून मिलता है।
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🗓️08 August, 2020
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सच कहूँ तो, खुद की रचनाएं पढ़ एक स्फूर्ति-सी आ जाती है, मन पुनः एक नयी उमंग से भर जाता है, अधियारें में भी उजाला महसूस होता है। किसी प्रतिस्पर्धा से दूर खुद में ही एक सुकून मिलता है।
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व्यस्तताओं के चलते कहिए, या कुछ आलस भी मान लिजिए, लंबे समय से कुछ लिख नहीं पाई । आज जब खुद की लिखी कुछ पुरानी कविताएं पढ़ी, तो समझ आया.... इतना भी बुरा नहीं लिखती । ☺️
सच कहूँ तो, खुद की रचनाएं पढ़ एक स्फूर्ति-सी आ जाती है, मन पुनः एक नयी उमंग से भर जाता है, अधियारें में भी उजाला महसूस होता है। किसी प्रतिस्पर्धा से दूर खुद में ही एक सुकून मिलता है।
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