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स्त्रियों की स्थिति
प्राचीन काल में स्त्रियों को देवी की संज्ञा दी गई है । मनु ने लिखा है , " जहां स्त्रियों की दुर्दशा होती है , वहां संपूर्ण परिवार विनाश को प्राप्त होता है, किंतु जहां स्त्रियां सुखी हैं वहां सदैव लक्ष्मी का वास होता है " । क्योंकि समय की गति से कौन बच पाया है समय ने पलटा खाया, मध्यकाल में मुसलमानों के शासनकाल में नारियों की स्थिति दयनीय हो गई और उन्हें चारदीवारी के भीतर बंद होना पड़ा। धीरे-धीरे स्त्रियों की दशा ब्रिटिश शासन तक गई नहीं रही किंतु उसके बाद भी नारियां अपने देश समाज की लड़ाई में पीछे नहीं रही। जहां 18 सो 57 में गुलबदन बेगम ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए वही दुर्गावती और रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए। आज भी समाज के गीत संगीत के क्षेत्र में नारियल पीछे नहीं है जहां पर स्वर कोकिला के नाम से नवाजे जाने वाली लता मंगेशकर के गीत लोगों की जुबान पर रहते हैं वही अलका याग्निक , श्रेया घोषाल जैसी गायिकाओं के गीत देश विदेश के लोग गुनगुनाते दिखते हैं । भारत में भी लोकसभा स्पीकर के रूप में महिला योगदान संसद में महिलाओं की बढ़ती स्थिति तथा जिला प्रशासन की बागडोर महिलाओं ने अपने हाथ में लेकर अपने कर्तव्यों की पहचान कराइ है ।