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सियासत जिंदगी की ....
सियासत जिंदगी की ,,,,
हाँ यही नाम मुझे सही लगता है।यहाँ हमारा खुद का हुक्म नहीं चलता है।यहाँ वही होता है जो किस्मत में हम लिखवाकर आये हैं!
हम लाख कोशिशों के बावज़ूद अपने मन मुताबिक़ नहीं जी सकते हैं।अगर हम दो कदम आगे बढ़ाते हैं तो कभी -कभी किस्मत हमको चार कदम पीछे ढ़केल देती है।फिर भी जीतने की जंग जारी रखनी चाहिए।
जिंदगी की बिसात पर किस्मत को अपने मोहरे चलने दीजिये,हम अपनी चाल चलते रहेंगे।अगर रुक गए तो हार निश्चित हो जायेगी और अगर चलते रहेंगे तो जीत मिल ही जायेगी।बस जीतने के लिए जिंदगी की सियासत के दांव पेंच सीखने पड़ेंगे।
कभी हिम्मत टूटने भी लगे तो पहाड़ो से गिरती पानी की धारा को देखिये जो कठोर से कठोर पत्थरों के सीने को रौंदती हुई अपना रास्ता बना लेती है।फिर देखिएगा आपकी हिम्मत वापिस लौट आएगी।
जिंदगी की सियासत में आप फिर से एक मजबूत स्तम्भ बनकर खड़े हो सकते है,बस अपने हौसलों को बुलन्द रखिये।।
🌹 झुकना हमको आता नहीं,
हार मानना सीखा नहीं।
इरादे मेरे बुलन्द रहेंगे,
जिंदगी तुझसे हम भी कम नहीं।।🌹
अंजली.....