...

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खुद पे नज़र रखना ज़रा
खुद पे नज़र रखना ज़रा
दूजों की अच्छाई
याद रखना जरा
नाकरत्मकता की चादर हटा
सकारात्मकता की चादर ओढ़ना जरा
अपने आप से बात करना जरा
सच्चाई से सामना करना जरा
क्या तुम्हारे हित क्या अहित का आँकलन करना जरा
खुद का अहम का त्याग करना जरा
दो मीठे बोल बोलना जरा
मुख से दुआएँ निकाल
सुखसमृद्धि का प्रचार प्रसार
करना जरा
तुम क्या हो क्यों हो
खुद का आँकलन करना जरा
इन सभी बातों से परे हम अलग ही कलयुगी दुनिया में खोए रहते हैं....
कौन क्या कहता क्यों कहता है
इसने ये कहा, उसने वो कहा
नाकरत्मकता सुनने में रूचि दिखाना।
अरे कल तक तो उसके पास कुछ नहीं था,आज फिर कैसे
इतना अमीर हो...