मैं नहीं कहती
मैं नहीं कहती
कि जब दीप जले आ जाना
तुम तब आना जब तुम्हें एहसास हो
हाँ ,अब लौटना चाहिए
भले उस वक्त या उस रोज
छाया हुआ घना अँधेरा हो
तुम अपने कदम ऐसे लौटने के लिए बढ़ाना
कि मन के द्वार भी खुद तुम्हारे स्वागत के लिए ...
कि जब दीप जले आ जाना
तुम तब आना जब तुम्हें एहसास हो
हाँ ,अब लौटना चाहिए
भले उस वक्त या उस रोज
छाया हुआ घना अँधेरा हो
तुम अपने कदम ऐसे लौटने के लिए बढ़ाना
कि मन के द्वार भी खुद तुम्हारे स्वागत के लिए ...