...

6 views

स्पर्श
स्पर्श सिर्फ शारीरिक संपर्क नहीं होता, बल्कि यह आत्मा की भाषा होती है। एक हल्का स्पर्श कभी सुकून दे सकता है, तो कभी किसी की पूरी दुनिया बदल सकता है। यह कहानी राधिका की है, जो अपने जीवन में प्यार और अपनापन खो चुकी थी, लेकिन एक मासूम स्पर्श ने उसकी दुनिया को फिर से जगा दिया।
राधिका का बचपन खुशहाल था। उसके पिता, विशाल, उसके सबसे अच्छे दोस्त थे। जब वह छोटी थी, तब हर रात सोने से पहले उसके पिता उसकी उँगलियाँ अपनी हथेली में पकड़कर कहते, “जब तक मेरा हाथ तेरे साथ है, तुझे कोई तकलीफ नहीं होगी।”

लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। एक सड़क दुर्घटना में विशाल का निधन हो गया। राधिका उस समय सिर्फ आठ साल की थी। जब उसकी माँ अस्पताल में रो रही थी, तब छोटी राधिका अपने पिता के ठंडे हाथों को पकड़कर हिलाने की कोशिश कर रही थी, मानो कह रही हो, “पापा, उठो ना! मेरा हाथ पकड़ो!”

उस दिन के बाद से, राधिका की दुनिया बदल गई। माँ तो संभलने की कोशिश कर रही थी, लेकिन राधिका अंदर ही अंदर टूट चुकी थी। वह चुप रहने लगी, किताबों में खुद को खोने लगी, और हर किसी के छूने से डरने लगी। उसे लगता, अगर उसने किसी को फिर से करीब आने दिया, तो शायद वह भी उसे छोड़कर चला जाएगा।
***********************************

समय...