...

18 views

अनुभव
"ज़िंदगी" एक सीख
"ज़िंदगी" एक सज़ा
"ज़िंदगी" एक भ्रम

ज़िंदगी लगा जैसे सज़ा है, कुछ हद तक मैं सही था
ज़िंदगी लगा जैसे व्यर्थ है, जीने का न कोई वजह था
न मुझे गुरु मिले, न मिली मुझे अपनी मंजिल
न घर का पता मुझे, न पता मुझको जाना कहाँ था

बंद थे सारे द्वार, जब अँधेरा ही मेरा उजाला था
जब ढूँढा तुझे मैंने, तो तुमने ही राह दिखाया था
न और जीने की ललक थी, या यूँ कहो शून्य मुझे
जब भींगे थे पलकें मेरी, फिर साथी बन तुमने फ़र्ज़ निभाया था

आध्यात्मिक ज्ञान तब मिला मुझे, जब मैं खुद से अज्ञात था
आख़िर कौन हूँ मैं पूछा जब, तुमने मुझे असीम तेज बताया था
रात्रि से भी ज्यादा स्याह दिख रही थी, मेरे बुरे दौर में मुझे
निस्संदेह,"डार्क नाईट ऑफ़ द सोल" के शुरूआत में मैं अनजान था

नींद नहीं आयी कितनी रात मुझे, न सुबह होने का इंतज़ार था
चाँद तारे भी नहीं दिखे, ऐसा लगा पूरे जग में मैं अकेला इंसान था
इसी बीच जो कुछ हुआ मेरे साथ, मैं समझ नहीं पाया उसे
बड़ा ही अनोखा आभास था, मैं लफ़्ज़ों में बयां न कर पाया उसे

काफ़ी दिन बीत गए, फिर हर एक राज़ से पर्दा उठा
जिसे मैं पहले नहीं समझ सका फिर उसी राह पर चल पड़ा
बात बस इतनी थी कि मेरे कल्पना से भी परे मुझे अनुभव मिला था
एस्ट्रल ट्रेवल जैसी चीज भी संभव है, ये मैंने स्वप्न में भी न सोचा था

#WritcoQuote #writco #writer #writcoapp #Writing
© All Rights Reserved