...

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मैं दर्द की कलम.......!!
मेँ दर्द की कलम से लिखी हुई हूँ
मैं अल्फाज़ हूँ
मुझे समझ पाना
कहाँ इतना आसान हैँ
कई वर्षों से मेँ खुदकी पिन्हा मैं कैद हुई हूँ

माजी की यादों मैं आज भी खोयी हुई हूँ,
कहाँ वो कैसा हज़ार जिक्र करता मेरा मन हैँ
मन तो बहुत करता एक दफा उसकी सूरत को निहारुँ
पर कहाँ अब पहलें सा वक्त अब खुदमें बस डूबी हुई हूँ,

बहुत तकलीफ मैं रही तेरे से जुदा हो मैं अकेले रोई हूँ,
तू आया ही नही तेरी यादें समेट ली मैंने
तन्हाई को साथी बना तेरे रूह से वाकिफ हुई
हज़ार दफा समझायाँ फिर उसी मंजर पे ले आयी हूँ,

महसूस कुछ ऐसा हो रहा जैसे करीब तेरे फिर हुई हूँ,
हर अल्फाज़ कविता शायरी मैं जिक्र तेरा फिर हो रहा हैँ
क्या एक दफा तेरे फिर वापस आने की उम्मीद जागी हैँ
याँ तेरे ख्यालों मैं डूब खुदको तेरी उलझन मेँ करती हुई हूँ,

शिवानी यादव(शिवि)✍️