...

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सच्ची कहानी
ये कहानी हमारी है जो जिंदगी के हर पहलू को देख चुकी है.
और इस जिंदगी के एक पन्ने मे एक ऐसी कहानी छुपी है जो आप सब के सामने बिलकुल नई है......
आज तक आप सबने हमें पढ़ा है, मगर लेखन की शुरुआत कैसे हुई आज ये बताते हैं......
17 साल से हमारे अंदर लिखने का शौक उत्पन्न हुआ,
सभी सहेलियों के साथ जो कुछ भी बातें स्कूल मे होती थीं!
वही शाम को डायरी मे लिखना एक आदत बन गयी थीं.......
कभी हसीं मज़ाक़ कभी नोक झोंक सब कुछ
चुप चाप लिखते रहना.!
धीरे धीरे कलम इससे आगे चलने लगी.
जैसे अब हम प्रेरणा दायक लिखने लगे. शेर ओ शायरी, कविता और कहानी जैसे मन मे
शब्द खुद ब खुद एक लड़ी बना रहे थे और वही सब कलम के जरिये कागज पर छपता जा रहा था!
जैसे जैसे समय आगे बड़ा पढ़ाई पूरी हो गयी,
फिर जॉब भी चलने लगी. मगर लिखना बंद नहीं हुआ!
ये निरंतर चलता रहा! मगर सब से छुपा कर...........
एक दिन किसी तरह एक कविता लोगों की नज़र मे आ गयी!
फिर परिवार को भी पता चल गया की हम लिखते हैं!
मगर किसी को ये मालूम ही नहीं था की हम
क्या लिख रहे हैं!
और हम सबसे बेखबर अपने अनुभव अपने जज़्बात अपनी कलम के साथ साझा कर रहे थे.............
इससे आगे की कहानी अगले अंक मे ज़ी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
© sangeeta ki diary