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वो घटना...😱 भाग - 1
मेरे गांव की सुबह बड़ी प्यारी थी, उन दिनों छुट्टियां बिताने अपने गांव गया हुआ था। बैंगलोर से 38 घंटों का सफ़र तय करके हज़रत निज़ामुद्दीन पहुंचकर कश्मीरी गेट बस अड्डे की तरफ़ निकलने को स्टेशन से प्रस्थान किया और सामने उत्तराखंड परिवहन निगम की वो प्यारी बस देखकर मन प्रफुल्लित हो उठा और मैं जल्दी से कोटद्वार की बस में बैठ गया, हमेशा की तरह वो खिड़की वाली सीट पर मैं आराम से विराजमान हो गया, सीट पर बैठकर किसी महाराजा से कम नहीं समझ रहा था मैं खुद को। अभी कुछ समय था बस को निकलने में और मैं खाने के लिए ले आया और एक पानी को बोतल भी, और परिचालक ने आकर सबकी टिकट बनाना शुरू कर दिया। मैं सफ़र का मज़ा लेते हुए सदाबहार गीत सुन रहा था और गुनगुना रहा था। 5 घंटों की मनोरम यात्रा के बाद हॉर्न बजाते हुए बस अपने मंज़िल की तरफ बस अड्डे पर पहुंच गई और सब यात्री चेहरे पर मुस्कान लिए उतरने लगे और जो लेने आए हुए थे, मिलकर और भी खुश हो गए। भूख बहुत लग चुकी थी और बर्दाश्त के बाहर हो रही थी, सामने ही एक छोटा सा होटल दिखा और मैं चल पड़ा फिर हाथ मुंह धोकर खाने के लिए बोल दिया, खाना भी बेहद लज़ीज़ और स्वादिष्ट मानो जैसे घर का बनाया हो। ज़्यादा देर न करते हुए सतपुली की गाड़ी पकड़ी और सबसे आगे वाली सीट पर बैठ गया और थोड़ी देर में गाड़ी भर गई और चालक ने गाड़ी चलाना शुरू किया और हम चल पड़े। वो पहाड़ी सड़कें वो हरियाली वो मौसम मेरे हृदय को बहुत प्रफुल्लित कर रहा था एक अलग ही रौनक थी उन रास्तों में। मन में आ रहा था कि बस यहीं पर बस जाऊं। वाह क्या दृश्य था। 2 घंटे की यात्रा के बाद मैं पहुंच गया और बाज़ार से कुछ सामान सब्ज़ी फल मिठाई वगेरह लिया और गांव की गाड़ी में बैठ गया।
शेष अगले भाग में......😊
© विकास - Eternal Soul✍️
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