jindagi ki hakikat
मिली थी जिंदगी किसी के काम आने के लिए.. *
पर
वक्त बीत रहा है कागज़ के टुकड़े कमाने के लिए... **
क्या करोगे
इतना पैसा कमा कर ना कफन में जेब है ना कब्र में अलमारी...
और यह मौत के फरिश्ते तो रिश्वत भी नहीं
लेते ...
मिली थी जिंदगी किसी के काम आने के लिए.. *
पर
वक्त बीत रहा है कागज़ के टुकड़े कमाने के लिए... **
क्या करोगे
इतना पैसा कमा कर ना कफन में जेब है ना कब्र में अलमारी...
और यह मौत के फरिश्ते तो रिश्वत भी नहीं
लेते ...
मिली थी जिंदगी किसी के काम आने के लिए.. *
पर
वक्त बीत रहा है कागज़ के टुकड़े कमाने के लिए... **
क्या करोगे
इतना पैसा कमा कर ना कफन में जेब है ना कब्र में अलमारी...
और यह मौत के फरिश्ते तो रिश्वत भी नहीं
लेते ...
मिली थी जिंदगी किसी के काम आने के लिए.. *
पर
वक्त बीत रहा है कागज़ के टुकड़े कमाने के लिए... **
क्या करोगे
इतना पैसा कमा कर ना कफन में जेब है ना कब्र में अलमारी...
और यह मौत के फरिश्ते तो रिश्वत भी नहीं
लेते ...
पर
वक्त बीत रहा है कागज़ के टुकड़े कमाने के लिए... **
क्या करोगे
इतना पैसा कमा कर ना कफन में जेब है ना कब्र में अलमारी...
और यह मौत के फरिश्ते तो रिश्वत भी नहीं
लेते ...
मिली थी जिंदगी किसी के काम आने के लिए.. *
पर
वक्त बीत रहा है कागज़ के टुकड़े कमाने के लिए... **
क्या करोगे
इतना पैसा कमा कर ना कफन में जेब है ना कब्र में अलमारी...
और यह मौत के फरिश्ते तो रिश्वत भी नहीं
लेते ...
मिली थी जिंदगी किसी के काम आने के लिए.. *
पर
वक्त बीत रहा है कागज़ के टुकड़े कमाने के लिए... **
क्या करोगे
इतना पैसा कमा कर ना कफन में जेब है ना कब्र में अलमारी...
और यह मौत के फरिश्ते तो रिश्वत भी नहीं
लेते ...
मिली थी जिंदगी किसी के काम आने के लिए.. *
पर
वक्त बीत रहा है कागज़ के टुकड़े कमाने के लिए... **
क्या करोगे
इतना पैसा कमा कर ना कफन में जेब है ना कब्र में अलमारी...
और यह मौत के फरिश्ते तो रिश्वत भी नहीं
लेते ...