हिंदी हिय
मै हिंदी हू,स्वमं मै पूरी ओर पर्याप्त हू,मेरा कलेवर विस्तृत ओर विशाल है,हर किसी को पूर्णतः समझ मै आऊ ये मेरा स्वभाव है,अर्थात मै तुम्हारे लिये सरल ओर सहज हू,मेरी मॉ संस्कृत है,मै उसके जैसी नही पर गर कोई मेरा गहन अध्यन करे,तो मुझमे मेरी का बहुतायत लक्षण मिलते है,पर आज के दोर मै परेशान हू,क्यूकि मुझे पढ़ने ओर बोलने मै लोग अपनी शान नही समझते,ओर कुछ तो...