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श्रापित हवेली और प्यार
Chapter 1: पहली पुकार


सर्दियों की ठंडी रात थी। हवाओं में एक अजीब सी सिहरन थी, जो हर किसी के दिल में डर का बीज बोने के लिए काफी थी। अनिका, अपने परिवार के साथ, पहाड़ों के बीच बसे एक छोटे से गाँव में आई थी, जहाँ उसकी दादी का एक पुराना बंगला था। लेकिन ये कोई साधारण बंगला नहीं था — इसे गाँव वाले "श्रापित हवेली" कहते थे।

“अनिका, ये हवेली हमारी पारिवारिक विरासत है,” उसकी माँ ने उसे समझाया ।
“तो क्या सच में ये श्रापित है ?” उसने हंसते हुए पूछा ।  लेकिन उसकी माँ की खामोशी ने हवा को और भारी कर दिया।

गाड़ी जैसे ही हवेली के पास रुकी, अनिका ने गाड़ी की खिड़की से बाहर झांककर देखा। पहाड़ी की चोटी पर स्थित वह हवेली रात के अंधेरे में जैसे कोई विशाल परछाई लग रही थी। पुराने जंग लगे लोहे के गेट से लेकर हवेली की टूटी-फूटी दीवारें, हर चीज़ में... एक अजीब सी वीरानी थी। गेट पर बना एक निशान, एक अर्धचंद्र और उसके चारों ओर फैले अंधेरे का चक्र, उसकी आँखों को तुरंत आकर्षित कर गया।

“यह निशान... यह यहाँ क्यों बना है?” अनिका...