दिल के अल्फ़ाज़
दर्द देख लिआ छोटी उम्र मे बस अब खिल के मुस्कुराना बाकी है। जिंदगी इस तरह रुलाएगी सोचा न था, अब बस टूटे सपनों को समेटना बाकी है । रो रहे है दिन रात हम अपने आंसू पोछना बाकी है । लगता है कुछ खाश मै हु या फिर मेरे लिए है ये दुनिया जो हर बार एक छोटी सी खुशी देके मेरा सब कुछ छीन लेती है ।
नहीं मै किसी को दोष नही दे रही बस मै खुद...
नहीं मै किसी को दोष नही दे रही बस मै खुद...