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किलकारियां
तरू फिर यादों में गुम अपने आप मे खोई अपनी गुनगुन को याद कर रही थी। गुनगुन एक हवा के झोंके कि तरह उसकी जिन्दगी में आई और पलभर कि खुशी देकर गुम हो गई।तरू कि जिंदगी जैसे रोक सी गई वो आज भी वही खडी है जहां गुनगुन अपना हाथ छोड़ा कर चली गई।

तरू और सूरज कि शादी को छह साल हो गए थे पर उनका आगंन बच्चे कि किलकारियों से सूना था। तरू अपने ससुराल वालों से बांझ होने के ताने सुन सुनकर थक चुकी थी। तरू का गर्भाशय कमजोर था। जिसकी वजह से उसके दो गर्भपात हो चुके थे और डाक्टर ने उसे मां न बनने कि सलाह दी थी क्योंकी उसकी जान को खतरा था।

सूरज चाहकर भी अपने घरवालों कि सोच नहीं बदल सका पर वो तरू कि ढाल बनकर उसके साथ खड़ा रहता। खुशियों...