...

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अनकही ।
कुछ लब पे थे, कुछ ख़ामोश से
कुछ दर्द था, कुछ मरहम भी थे
अपने मिले थे, पर अधुरे से
वे थे पर उनमें ,हम नहीं
ए जिंदगी तुझसे ग़म नहीं
कई मिलेंगे सबकी तरह तुम्हें
पर शायद मिले हम नही।

यह एक लड़की स्वाति की कहानी है उसकी मानसिक हालात की कहानी है।इस पुरी कहानी को हम उसी के शब्दों में जानेंगें तो चलते है उसके साथ उसके जीवन के सफर में।

मैं फिर से जन्म लेना चाहती हूं ताकि मैं उन हर खुशियों को पा सकूं जिन्हें ईश्वर ने जाने अनजाने जिनसे मुझे वंचित रखा।एक प्यारे मां बाप की जोड़ी, बहुत प्यार करने वाला भाई, बहुत परवाह करने वाला पति और प्यारे प्यारे बच्चे एक सुंदर परिवार जहां सास ससुर मां बाप की तरह हो न कि ऐसे जो बिन बाप की बेटी समझ कर उसके साथ बुरा बर्ताव करें। मैंने जिंदगी से बहुत से अरमान सज़ाए है। मुझे इसके कतरे कतरे को जीना है। मैं जीवन के हर पल की खूबसूरती को निचोड़ कर उसकी यादें जीना चाहती हूं। अपने चारों ओर बस प्रेम भरे लोग चाहती हूं। मुझे अपनी बातें तब से याद हैं जब बहुत छोटी थी नानी के घर में रहती थी। मुझे पता नहीं था कि मेरी मां कौन है, क्यूंकि वो घर पर रहती थी और मैं नानी के यहां। हालांकि वहां बहुत लोग थे पर मैं अकेली थी। अचानक से जाना कि मेरी मां भी है।वो आई हुई थी और मैंने ज़िद्द पकड़ लिया कि अब तो मैं कुछ भी हो जाए इन्हीं के साथ जाऊंगी ये मेरी मां है।मां मेरे दो भाईयों के साथ मेरे घर पर रहती थी।पापा बहुत पढ़ें लिखे थे, कालेज में प्रोफेसर थे।पर काफी नशा करने से उनकी मानसिक हालात ठीक नहीं था।जब तक पापा साथ दिएं मम्मी स्कूल में पढ़ा कर परिवार चला रही थी। हमारी आर्थिक हालात उतने अच्छे नहीं थे। पिता के मानसिक स्थिति का फ़ायदा उठाकर बड़े पापा हमें गांव में रहने नहीं दे रहें थे।रोज हर तरह से परेशान करते थे। अचानक से एक दिन पापा भी गायब हो गए उनकी कोई ख़बर नहीं मिल रही थी। मम्मी परेशान थी, बहुत परेशान, ऊपर से बड़े पापा मम्मी हमारा जीना हराम किए हुए थे। मम्मी पढ़ी लिखी थी सो गांव के बच्चों को ट्यूशन पढाती थी, बड़े पापा उन्हें भी गालियां देकर भगा देते थे । मम्मी पूरी तरह असहाय होकर पास कि एक औरत से जिनकी बच्ची पढ़ने आती थी पचास रुपए मदद मांगी उन्होंने मदद की। फिर वे हम तीन छोटे बच्चों के साथ नानी के घर निकल पड़ी। मैं आज उनके उन संघर्ष को महसूस कर पा रही हूं तब बस एक दर्शक की तरह देखती थी। चुकी मैं उनके बच्चों में सबसे बड़ी थी सो मैं उन्हें महसूस कर पा रही थी ।पता नहीं क्या था पर हम खुश दें, बहुत खुश। मम्मी ने हमें कभी कुछ नहीं कहा बस वे अपना फर्ज निभाती रहीं, पापा ने अपने जिम्मेदारियों से मुंह फेर लिया था।वे काफी लंबे समय के लिए गायब हो गए थे।




© Gitanjali Kumari