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बनारस के ठग
"बनारस " बाबा विश्वनाथ, बनारसी साड़ी और बनारसी पान के लिए है जितना प्रसिद्ध है उतना ही बनारसी ठगों के लिए बदनाम भी। मैंने अपने बचपन में घर और आसपास के बुजुर्गों से बनारसी ठगों के कई चर्चे सुने थे।उस समय ये नहीं पता था कि एक दिन इन ठगों से मिलने और देखने का सुअवसर प्राप्त होगा।
पहले और अब में भेद यही इतना है कि पहले ये लोग ढके-छुपे होते थे अब साक्षात दिखाई देते हैं। समय के साथ इन लोगों ने अपना काम धंधा तो बदला पर स्वभाव नहीं। अपनी योग्यता और औकात के हिसाब से कोई होटल व्यवसाई तो कोई नाव का मालिक है और कुछ आटो चालक तो कुछ दुकानदार बने बैठे हैं। सब ही ऐसे नहीं हैं कुछ प्रजातियां ही ऐसी हैं।
ये लोग इंसान को भांपते है और जब तक उसके पास पहुंचते हैं तब तक इन्हें पता चल चुका होता है कि सामने वाले को कितना चूना लगाया जा सकता है। इसमें मुख्य भूमिका भाषा निभाती है। उत्तर प्रदेश और बिहार वालों को छोड़ दें तो अन्य प्रांतों पर इनकी कृपा दृष्टि बनी रहती है और विदेशी तो इन्हें प्रिय हैं। हालांकि बचते इनसे उत्तर प्रदेश और बिहार वाले भी नहीं परन्तु उन्हें इन लोगों से इतनी क्षति नहीं होती। जो भी होती है वह इन लोगों की मजबूरी होती है पर उन्हें पता होता है कि वे लोग ठगे जा रहें हैं । ये लोग इनकी योग्यता से परिचित होते हैं और इनसे निपटना भी जानते हैं।

यदि आप लोग आने वाले समय में बनारस भ्रमण के लिए निकले तो सतर्क एवं सचेत रहें।

बनारस यात्रा के कुछ खट्टे मीठे अनुभवों पर आधारित यात्रा वृत्तांत।।।




© khak_@mbalvi