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"डरावनी परछाई"
ये कहानी एक काल्पनीक है, लेकिन ये हमारे डर से प्रभावित है।
कहानी शुरु करते है, ये किस्सा है उस दिन का । जब मै पुरे दिन घूम फिर कर गाँव मै , अपने दोस्तो से बाते करते हुए आ रहा था। की अचानक से मेरे एक मित्र ने कहा, की दोस्तों चलो आज मै तुम सबको एक बात । बताना चाहता हुँ, मेरे दुसरे मित्र ने कहा । ठिक है बताऔ, तो उसने कहा की डरना मत।
फिर मैने कहा क्यों? ऐसी क्या बात है। मेरे मित्र ने कहा , भूतों की बात है। और मेरा मित्र मुझसे कहने लगा, की मेरे पिता ने भूतों को देखा है। एक बार पिता जी रात मै , काम करके गाँव मै लौट कर वापस आ रहे थे। की अचानक से उन्हें गाँव के पास एक कब्रीस्तान मै , से एक आवाज सुनाई दी। वो पिता जी को बुला रही थी , लेकिन पिता जी ने उस आवाज को अनसुना कर दिया । और भागने लगे , पिता जी ने जैसे दुबारा पीछे देखा तो एक। बड़ी सी भयानक परछाई उनका पीछा कर रही थी, और वो...