संघर्ष - एक बलिदान
कहानी आप को कुछ करने के लिए नहीं कहेगा। बस आपसे कुछ प्रश्न करेगा?
बस इस कहानी में ऐसे किरदार के बारे में बताऊंगा जिन्हें आप जानते हैं। लेकिन कुछ ऐसे प्रश्न है जिन्हें आप नहीं जानते हैं? उनको उनके कर्तव्य , संघर्ष ,उनके संकल्प ,उनके त्याग के दम पर पूरा संसार ,
उनको जानता है।
संसार उनकी सदियों से पुजा करते आई है ,और पूजा करते रहेगी।
यह चरित्र भगवान श्री राम, अयोध्या (वर्तमान उत्तर प्रदेश) के राजा हैं।
उनके जीवन और उनके संघर्ष के बारे में तो हम सब परिचित हैं , जो नहीं जानते हैं वह भी इस करोना काल के विकट परिस्थिति में जान गए होंगे ।
हमारी मीडिया और सरकार की वजह से;
आइए हम अपनी कहानी शुरू करते हैं !
जब टेलीविजन पर प्रभु श्री राम की गाथा रामायण देख रहे हैं तो आपके मन में कोई प्रश्न आए हैं उनके संघर्ष और त्याग के प्रति ,नहीं ना
यह कहानी आपसे वही प्रश्न कर रहा है , बस आपसे विनती है कहानी को ध्यान से पढ़िए गा ।
अगर आप प्रश्नों की भाव को , प्रश्नों की गहराई तक पहुंचे नहीं ,
तो आप प्रश्नों की वो ऊर्जा नहीं ले पाएंगे
जो ऊर्जा मैं आपको देना चाहता हूं।
आइए पढ़ते हैं प्रभु श्री राम की यह बेरग कहानी!
जो सहा पर प्रभु ने वह सारी मृत्यु के समान कष्ट, लेकिन अपने कर्तव्य को सबसे ऊपर रखा ।
सुख-वैभव छोड़कर , सील ,संकट को मरने ना दिया ;
कल था राज्य अभिषेक जिसका!
थी शोभा बढ़ाने को प्रभु की सर की वो मुकुट,
आदेश की जंजीरों में अब एक बालसामन था ,
अब है उससे सब कुछ त्याग ना।
पिता के वचन को भी है निभाना, माता के द्वारा दिए गए आदेश को भी है मानना ,
तो बोलिए,
इस स्थान पर अगर आप होते तो किस तरह का धर्म करते।
पिता का था वचन
तोड़ देता , अपना धर्म ही था छोड़ देता,
पर आने वाली पीढ़ियां उनसे क्या सीख ले लेती ,
चिंता भी उनको बस यही थी।
केवट राज, ना जाने पिछले जन्म में कौन से कर्म किए थे जो इतना सौभाग्य मिला ।
प्रभु राम से लेना था मोक्ष और प्रभू से ही लड़ लिया था,
केवट के कुल वंश सब मोक्ष की प्राप्ति कर रहे थे, सब भगवान राम में ही अर्पित होते जा रहे थे।
जब छिन गया दरबार , सबकुछ गया बिखर ,तब इतनी शांत और सरल कोई कैसे रह सकेंगे?
आपको वह घटना याद होगा !
जब भगवान राम थे वनवास में ,
अपहरण कर लिया गया था मां सीता का ,था कौन साथ में।
कुटिया भी हो गया था सुना, दो भाई थे पड़े महासंकट में।
बताइए इस स्थिति में आप कब तक धैर्य रख सकेंगे?
वह तो स्वयं भगवान थे ,लेकिन क्यों नहीं उनमें भी अभिमान था।
किरदार भी वे स्वयं लिए , जिसमें सिर्फ त्याग ,बलिदान और कष्ट था।
मर्यादा में रहकर रघुवंश के अभिमान बन गए।
तो बताइए भगवान श्री राम के अध्याय से एक पृष्ठ हासिल कर सकेंगे आप ?
प्रश्न भी इतना नहीं है ।
और गाथा भी इतना नहीं है ,जो कुछ शब्दों उनको पूर्ण कर दे।
जब वह तपे रहे संघर्ष में तब आए उत्कर्ष में।
तो बताइए क्या आप भी ऐसी प्रेरणादायक पीढ़ी बना सकते हैं?
एक पल के सोचिए अगर भगवान राम के स्थान पर अगर आप रहते तो आप कहां तक टिक सकते?
- Shourya S. mishra
© shourya s. mishra
बस इस कहानी में ऐसे किरदार के बारे में बताऊंगा जिन्हें आप जानते हैं। लेकिन कुछ ऐसे प्रश्न है जिन्हें आप नहीं जानते हैं? उनको उनके कर्तव्य , संघर्ष ,उनके संकल्प ,उनके त्याग के दम पर पूरा संसार ,
उनको जानता है।
संसार उनकी सदियों से पुजा करते आई है ,और पूजा करते रहेगी।
यह चरित्र भगवान श्री राम, अयोध्या (वर्तमान उत्तर प्रदेश) के राजा हैं।
उनके जीवन और उनके संघर्ष के बारे में तो हम सब परिचित हैं , जो नहीं जानते हैं वह भी इस करोना काल के विकट परिस्थिति में जान गए होंगे ।
हमारी मीडिया और सरकार की वजह से;
आइए हम अपनी कहानी शुरू करते हैं !
जब टेलीविजन पर प्रभु श्री राम की गाथा रामायण देख रहे हैं तो आपके मन में कोई प्रश्न आए हैं उनके संघर्ष और त्याग के प्रति ,नहीं ना
यह कहानी आपसे वही प्रश्न कर रहा है , बस आपसे विनती है कहानी को ध्यान से पढ़िए गा ।
अगर आप प्रश्नों की भाव को , प्रश्नों की गहराई तक पहुंचे नहीं ,
तो आप प्रश्नों की वो ऊर्जा नहीं ले पाएंगे
जो ऊर्जा मैं आपको देना चाहता हूं।
आइए पढ़ते हैं प्रभु श्री राम की यह बेरग कहानी!
जो सहा पर प्रभु ने वह सारी मृत्यु के समान कष्ट, लेकिन अपने कर्तव्य को सबसे ऊपर रखा ।
सुख-वैभव छोड़कर , सील ,संकट को मरने ना दिया ;
कल था राज्य अभिषेक जिसका!
थी शोभा बढ़ाने को प्रभु की सर की वो मुकुट,
आदेश की जंजीरों में अब एक बालसामन था ,
अब है उससे सब कुछ त्याग ना।
पिता के वचन को भी है निभाना, माता के द्वारा दिए गए आदेश को भी है मानना ,
तो बोलिए,
इस स्थान पर अगर आप होते तो किस तरह का धर्म करते।
पिता का था वचन
तोड़ देता , अपना धर्म ही था छोड़ देता,
पर आने वाली पीढ़ियां उनसे क्या सीख ले लेती ,
चिंता भी उनको बस यही थी।
केवट राज, ना जाने पिछले जन्म में कौन से कर्म किए थे जो इतना सौभाग्य मिला ।
प्रभु राम से लेना था मोक्ष और प्रभू से ही लड़ लिया था,
केवट के कुल वंश सब मोक्ष की प्राप्ति कर रहे थे, सब भगवान राम में ही अर्पित होते जा रहे थे।
जब छिन गया दरबार , सबकुछ गया बिखर ,तब इतनी शांत और सरल कोई कैसे रह सकेंगे?
आपको वह घटना याद होगा !
जब भगवान राम थे वनवास में ,
अपहरण कर लिया गया था मां सीता का ,था कौन साथ में।
कुटिया भी हो गया था सुना, दो भाई थे पड़े महासंकट में।
बताइए इस स्थिति में आप कब तक धैर्य रख सकेंगे?
वह तो स्वयं भगवान थे ,लेकिन क्यों नहीं उनमें भी अभिमान था।
किरदार भी वे स्वयं लिए , जिसमें सिर्फ त्याग ,बलिदान और कष्ट था।
मर्यादा में रहकर रघुवंश के अभिमान बन गए।
तो बताइए भगवान श्री राम के अध्याय से एक पृष्ठ हासिल कर सकेंगे आप ?
प्रश्न भी इतना नहीं है ।
और गाथा भी इतना नहीं है ,जो कुछ शब्दों उनको पूर्ण कर दे।
जब वह तपे रहे संघर्ष में तब आए उत्कर्ष में।
तो बताइए क्या आप भी ऐसी प्रेरणादायक पीढ़ी बना सकते हैं?
एक पल के सोचिए अगर भगवान राम के स्थान पर अगर आप रहते तो आप कहां तक टिक सकते?
- Shourya S. mishra
© shourya s. mishra
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