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बारिश
बारिश का वो दिन याद आता है, उस दिन हम करीब एक घंटे तक एक दूसरे को देखते रहे और वझा क्या थी, ये बारिश यह घनी सी धीमे धीमे तेज़ होती बारिश, ओर हमारी मिलती आँखें यह तेज़ होती धड़कने, हमारे आसपास के लोग सब औझल से हो गए थे, हम कभी एक दूसरे की नज़र में नज़र मिला देखते तो कभी चोर निगाहों से देखते, वो बारिश ने हमे रोक शायद उस दिन हमारी कहानी आगे बढ़ाने की सोची थी ,
वो एक ओर खड़ी में एक ओर खड़ा, ये आँखें एक दूसरे से बातें कर रही, बस लफ़्ज़ों में पिरोने में थोड़ी हिचकिचाहट हो रही, वो सुन मेरी निगाहों की रही मैं सुन उसकी निगाहों की रहा यह आजू बाजू का शोर थम गया बस हमारी धड़कनों की अवज़ आरही थी, ये ज़ुबान बहुत कुछ कहना चाह रही थी, के ये बारिश थम गयी, ओर हमारी कहानी शुरू हो गयी |