परवरिश
जब पहली बार उसने अपनी बेटी को हाथ में लिया।तब उसने अपने आप से वादा किया। चाहे जो कुछ भी हो जाए इसे दुनिया की सारी खुशिया दूंगी। कभी भी समझौते की जिंदगी नहीं जीने दूंगी। मेरी तरह इसमे उसके पति ने भी उसका भरपूर साथ दिया। तीन साल के बाद उसे एक लड़का हुआ। दोनों बच्चों की परवरिश में उसने अपनी पूरी दुनिया ही छोड़ दी। खाना -पिना सोना सजना सवरना घूमना फिरना सब कुछ बच्चों में ही...